...
Skip to content

“नई सोच की सवारी” पहल ने जीरो-एमिशन ट्रकिंग को दी नई रफ्तार

Image
IITM professor in conversation with mechanics in Coimbatore

भारत में अब ट्रकिंग की दुनिया भी “नई सोच” के साथ बदल रही है। इलेक्ट्रिक ट्रकों को लेकर शुरू हुआ जागरूकता अभियान “नई सोच की सवारी (Nayi Soch Ki Sawaari)” अपने 100वें कार्यक्रम तक पहुंच गया है। इस पहल के जरिए देशभर के ट्रक ड्राइवरों, मैकेनिकों और फ्लीट ऑपरेटरों को ई-ट्रक यानी इलेक्ट्रिक ट्रकों के फायदों और संभावनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है।

बेंगलुरु के एक वर्कशॉप में काम करने वाले सस्पेंशन विशेषज्ञ सेल्वासुंदरम ने कहा,

“इलेक्ट्रिक ट्रक न तो प्रदूषण फैलाते हैं और न ही इनका खर्च ज़्यादा होता है। जैसे-जैसे तकनीक बढ़ रही है, ये ट्रक आम होंगे—बिलकुल जैसे अब इलेक्ट्रिक कारें और बाइक आम हो चुकी हैं। देश के विकास के साथ ई-ट्रक आयातित डीज़ल पर निर्भरता को कम करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।”

इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए IIT मद्रास के Centre of Excellence for Zero Emission Trucking (CoEZET) ने यह पहल शुरू की है। इसकी प्रोजेक्ट लीड कृतिका महाजन ने बताया,

“जब हमने शुरुआत की थी, तब सिर्फ 16% फ्लीट ऑपरेटर इलेक्ट्रिक ट्रकों को व्यवहारिक मानते थे। आज यह संख्या 68% तक पहुंच गई है। यह बदलाव दिखाता है कि अगर सही जानकारी और सहयोग मिले, तो ट्रकिंग समुदाय भी समाधान का हिस्सा बन सकता है।”

भारत सरकार पहले से ही PM E-DRIVE, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी नीतियों के जरिए शून्य-उत्सर्जन ट्रकिंग को बढ़ावा दे रही है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि इस बदलाव में सीधे जुड़े लोग ड्राइवर, मैकेनिक और फ्लीट मालिक अब इस चर्चा के केंद्र में आ रहे हैं।

CoEZET के सीईओ अजीतकुमार टी.के. ने कहा,

“नीति तब ही सार्थक होती है जब वह ज़मीन तक पहुंचे। हम ‘जागरूकता, स्वीकार्यता और अपनाने’ के तीन चरणों में ट्रकिंग समुदाय के साथ काम कर रहे हैं, ताकि वे इस परिवर्तन का हिस्सा बनें, न कि उससे अलग महसूस करें।”

अब तक 8 राज्यों के 28 शहरों में हुए इन 100 जागरूकता सत्रों में हजारों ट्रक ड्राइवरों, मैकेनिकों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों ने हिस्सा लिया है। यहां उन्हें सरल भाषा, वीडियो, खेलों, और रेडियो कार्यक्रमों के जरिए जानकारी दी जाती है, ताकि तकनीकी बातें भी आसानी से समझी जा सकें।

सर्वे के मुताबिक, 85% ड्राइवरों ने इलेक्ट्रिक ट्रक चलाने की इच्छा जताई है। लगभग 96% प्रतिभागियों ने माना कि ई-ट्रक पर्यावरण के लिए बेहतर हैं और वे अपने बच्चों के भविष्य के लिए इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं।

आज भारत में हर 1000 ट्रकों पर सिर्फ 750 ड्राइवर हैं, जबकि आने वाले वर्षों में ट्रकों की संख्या कई गुना बढ़ने वाली है। ऐसे में “नई सोच की सवारी” जैसी पहल न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि ड्राइवरों के भविष्य और रोज़गार स्थिरता के लिए भी अहम कदम है।

(नई सोच की सवारी पहल, IIT मद्रास के CoEZET की एक पहल है, जिसे Purpose और Child Survival India के सहयोग से, e-FAST कार्यक्रम के तहत देशभर में चलाया जा रहा है।)

भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को आर्थिक सहयोग करें।

अन्य वीडियो रिपोर्ट्स

राजगढ़: टाईप वन डायबिटीज़ से बच्चों की जंग

भोपाल का ‘कचरा कैफे’ पर्यावरण के लिहाज़ से एक खास पहल

ग्राउंड रिपोर्ट में हम कवर करते हैं पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों को जो आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। रियल-टाइम अपडेट के लिए हमारी वॉट्सएप कम्युनिटी से जुड़ें; यूट्यूब  पर हमारी वीडियो रिपोर्ट देखें।


आपका समर्थन अनसुनी की गई आवाज़ों को बुलंद करता है– इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद।

Author

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins