ग्राउंड रिपोर्ट के डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट ‘पर्यावरण आज’ में जानेंगे गुरुवार 16 अक्टूबर की प्रमुख पर्यावरण खबरें और विस्तार से बात करेंगे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति देने के फैसले के बारे में। इसके साथ ही चर्चा करेंगे केन बेतवा लिंक परियोजना में मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के बीच गहराते विवाद के बारे में।
Host: Shishir Agrawal | Production: Himanshu Narware | Episode: 42
आज की पर्यावरण से जुड़ी प्रमुख हेडलाईन्स
इंडोनेशिया में रेडियो एक्टिव पदार्थ मिला: इंडोनेशिया के एक लौंग के खेत में रेडियो एक्टिव सीजियम 137 मिला है। इससे पहले, अमेरिकी जांच एजेंसी एफडीए को भी इंडोनेशिया से कैलिफ़ोर्निया पहुंचे एक शिपमेंट में यह रेडियो एक्टिव पदार्थ मिला था।
चीन ने डब्ल्यूटीओ में भारत की शिकायत की: चीन ने डब्ल्यूटीओ (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन) में भारत की शिकायत की है, जिसमें कहा गया है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल पर जिस तरीके की सब्सिडी दे रहा है, उससे चीन का हित प्रभावित हो रहा है और यह द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते का उल्लंघन है।
दिल्ली में ग्रीन पटाखों को मंजूरी: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ग्रीन पटाखों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। दिल्ली के सीएम ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया है।
वायु गुणवत्ता में गिरावट: नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 318 पर पहुंच गया था, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। यह स्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 300 से 430 गुना अधिक है। दिल्ली में भी प्रदूषण बढ़कर 233 पर पहुंच गया है। देश के लगभग 47.7% शहर वायु गुणवत्ता सूचकांक में चिंताजनक पाए गए हैं।
अरावली सफारी पार्क परियोजना: अरावली में सफारी पार्क बनाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि यह क्षेत्र पहले खनन हो चुका है और अब यह डिग्रेडेड लैंड है, और यह प्रोजेक्ट एक कंजर्वेशन इनिशिएटिव होगा। पांच रिटायर्ड आईएफएस अधिकारियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस निर्माण के खिलाफ अपील की है।
यूनियन कारवाइड कचरे पर रोक: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डबल बेंच ने यूनियन कारवाइड के कचरे की राख को पीतमपुर में दफन करने पर रोक लगा दी है।
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट (KBLP) के अलाइनमेंट में बदलाव: प्रोजेक्ट के तहत नहर की लंबाई 221 कि.मी. के बजाय 218 कि.मी. कर दी गई है। इस बदलाव से उत्तर प्रदेश के पास अब 11 टैपिंग पॉइंट होंगे और मध्य प्रदेश के पास आठ ही टैपिंग पॉइंट होंगे (पहले दोनों के पास आठ-आठ होने थे)।
आज की चर्चा
इंडोनिशिया के लॉंग (Clove) में मिला रेडियोएक्टिव पदार्थ
चर्चा ग्राउंड रिपोर्ट के पर्यावरण पत्रकार पल्लव जैन के साथ
रेडियो एक्टिव लौंग: इंडोनेशियाई लौंग में रेडियो एक्टिव सीजियम 137 पाए जाने की खबर भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत इंडोनेशिया से लौंग का एक बड़ा आयातक है। एफडीए ने पीटी बहारी मकमूर सजाती (फ्रोजन झींगा) और पीटी नेचुरल जावा स्पाइस (लौंग) के उत्पादों में रेडियो एक्टिव तत्व पाए जाने के बाद इन शिपमेंट को बैन कर दिया था। यह सवाल उठाया गया कि भारतीय एजेंसियां (जैसे FSSAI) क्या कर रही हैं, खासकर त्योहारी सीज़न में जब बाजार में अमानक खोवा, मावा या घी जैसे नकली उत्पादों की भरमार होती है।
दिल्ली में ग्रीन पटाखे और प्रदूषण
चर्चा ग्राउंड रिपोर्ट के पर्यावरण पत्रकार पल्लव जैन के साथ
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली/एनसीआर में ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है, हालांकि यह एक टेस्ट के तौर पर है।
नियम और प्रतिबंध: पटाखे केवल दो दिन (19 और 20 अक्टूबर) के लिए चलाए जा सकते हैं। समय सीमा सुबह 6:00 से 7:00 बजे और रात 8:00 से 10:00 बजे के बीच निर्धारित की गई है। केवल ग्रीन पटाखे ही चलेंगे।
ग्रीन पटाखे की परिभाषा: ग्रीन पटाखों से सामान्य पटाखों की तुलना में 30 से 40% कम उत्सर्जन होता है। इनमें बेरियम जैसे प्रतिबंधित रासायनिक पदार्थ नहीं होते हैं, और शोर का स्तर 120 डेसिबल से थोड़ा कम रहता है।
विशेषज्ञों की चिंताएं: विश्लेषकों ने बताया कि भारत में ग्रीन पटाखों पर अभी तक ज्यादा स्टडी नहीं हुई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अनुमति देने से ज्यादा लोग ग्रीन पटाखों को प्रदूषण-रहित समझकर इस्तेमाल करेंगे, जिससे भले ही व्यक्तिगत उत्सर्जन कम हो, कुल (नेट) उत्सर्जन बढ़ेगा और प्रदूषण के स्तर को और बढ़ाएगा।
कार्यान्वयन की चुनौतियां: ग्रीन पटाखों के पैकेट पर येलो और ग्रीन कलर का स्टीकर और क्यूआर कोड लगा होगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पेट्रोलिंग टीम बनाने और रैंडम चेकिंग का आदेश दिया है, पर कार्यान्वयन में बहुत ज्यादा दबाव पुलिस पर डाल दिया गया है। पुलिस मौके पर पटाखों की रासायनिक संरचना की जांच नहीं कर सकती, जिससे ग्रीन और पारंपरिक पटाखों में भेद करना असंभव है। लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों ने भी बिक्री के लिए कम विंडो और पुलिस जांच के दबाव पर चिंता व्यक्त की है।
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट अलाइनमेंट में बदलाव
ग्राउंड रिपोर्ट के रिपोर्टर अब्दुल वसीम अंसारी से चर्चा
यह देश का पहला नदी जोड़ो प्रोजेक्ट है जो विवादित नजर आ रहा है।
नियंत्रण में बदलाव: नहर की लंबाई घटने से उत्तर प्रदेश के पास 11 टैपिंग पॉइंट और मध्य प्रदेश के पास 8 हो गए हैं। इससे मध्य प्रदेश को पानी के लिए उत्तर प्रदेश पर निर्भर होना पड़ेगा।
ऐतिहासिक संदर्भ: आशंका जताई गई कि यूपी को नियंत्रण देने से जल बंटवारे में विवाद खड़े होंगे, जैसा कि 1977 के एग्रीमेंट में हुआ था जब यूपी के नियंत्रण के कारण मध्य प्रदेश को रबी सीजन में कभी पानी नहीं मिला था।
मध्य प्रदेश की आपत्ति: मध्य प्रदेश इन बदलावों पर आपत्ति दर्ज कराएगा। मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग के अधिकारी विनोद देवड़ा ने कहा है कि बरुआ सागर में पानी की डिमांड नहीं है, और इसे लिंक से जोड़ने पर लागत और निर्माण अवधि बढ़ जाएगी, क्योंकि बरुआ सागर का क्षमता विस्तार और नए बांध का निर्माण करना पड़ेगा।
ग्राउंड रिपोर्ट का डेली इंवायरमेंट न्यूज़ पॉडकास्ट ‘पर्यावरण आज’ Spotify, Amazon Music, Jio Saavn, Apple Podcast, पर फॉलो कीजिए।