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MP नहर सिंचाई: 84 करोड़ माफी के बावजूद किसान परेशान क्यों?

Edited By Himanshu Narware, Report Abdul Waseem Ansari

मध्यप्रदेश सरकार का बड़ा फैसला लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहानी कहती है

मध्यप्रदेश सरकार ने हाल की कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए नहरों से सिंचाई करने वाले किसानों के जलकर का ब्याज और पेनल्टी माफ करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग 35 लाख किसानों का 84 करोड़ रुपये का बकाया माफ किया जाएगा। यह राहत 31 मार्च 2025 तक की बकाया राशि पर लागू होगी, बशर्ते कि किसान 31 मार्च 2026 तक अपने बकाया बिल की मूल राशि एकमुश्त जमा कर दें।

राजगढ़ में संचालित मोहनपुरा परियोजना के प्रबंधक संदीप दुबे के अनुसार, इस योजना का लाभ केवल नहरों से सिंचाई करने वाले किसानों तक सीमित नहीं है। अंडरग्राउंड प्रेशर्ड पाइप लाइंस के माध्यम से सिंचाई करने वाले किसान भी इस राहत पैकेज के हकदार हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण सरकार की किसान कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

जमीनी सच्चाई: किसानों की समस्याएं

ग्राउंड रिपोर्ट की टीम जब राजगढ़ के सुंदरहेड़ा गांव पहुंची तो वहां के किसानों ने बताया कि वास्तविकता सरकारी आंकड़ों से काफी अलग है। स्थानीय किसान बताते हैं कि वे 2012 से नहरों के माध्यम से सिंचाई कर रहे हैं और उनसे 100 रुपये प्रति बीघा के हिसाब से जलकर वसूला जाता है।

गांव के किसान हरिओम गुर्जर की शिकायत वाजिब लगती है। वे कहते हैं, “जब नहरें चलाई जाती हैं, उस समय गांव में पंप वाली बिजली नहीं होती। ऐसे में किसान नहरों के पानी का उपयोग कैसे करे?” यह समस्या व्यापक स्तर पर देखी गई है जहां सिंचाई व्यवस्था और बिजली आपूर्ति के बीच तालमेल की कमी है।

मालवा क्षेत्र में रबी सीजन में अधिकतर किसान गेहूं की खेती करते हैं, जिसमें चार से पांच बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। हरिओम गुर्जर बताते हैं कि फसल में अंकुरण के बाद जब पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। यह समस्या किसानों को जलकर का भुगतान न करने पर मजबूर करती है।

स्थानीय किसान मोहन सिंह का कहना है कि सिंचाई विभाग की जलकर की राशि केवल 40 प्रतिशत किसान ही जमा करते हैं, जबकि 60 प्रतिशत इसका भुगतान नहीं कर पाते। पेनल्टी और ब्याज जुड़ने से यह राशि हजारों रुपये तक पहुंच जाती है।

विभागीय आंकड़े और वास्तविकता

राजगढ़ सिंचाई विभाग के अकाउंटेंट नूर खान के अनुसार, राजगढ़, ब्यावरा, खिलचीपुर और जीरापुर क्षेत्र में सिंचाई करने वाले किसानों की कुल बकाया राशि 7 करोड़ 98 लाख 63 हजार रुपये है। इसमें से ब्याज की राशि 1 करोड़ 3 लाख 82 हजार रुपये है, जो इस माफी योजना से साफ हो जाएगी।

ब्यावरा डिवीजन के नहर पटवारी रामपाल शिवहरे ने जलकर की दरों की जानकारी देते हुए बताया कि नहरों से सिंचाई करने वाले किसानों से एक सीजन का 275 रुपये प्रति हेक्टेयर (3.75 बीघा) जलकर वसूला जाता है। यदि अतिरिक्त पानी दिया जाता है तो यह राशि 350 रुपये प्रति हेक्टेयर तक पहुंच जाती है।

पेनल्टी और ब्याज का जाल

यदि किसान पहले सत्र में जलकर जमा नहीं करता और अगले साल फिर पानी लेता है, तो 75 प्रतिशत पेनल्टी लगाई जाती है। सत्र से पहले बकाया जमा करने पर 10 प्रतिशत और सत्र के बाद 13 प्रतिशत ब्याज वसूला जाता है। यह व्यवस्था किसानों पर वित्तीय बोझ बढ़ाती है।

मोहनपुरा परियोजना में अंडरग्राउंड प्रेशर्ड पाइप लाइंस के माध्यम से सिंचाई करने वाले किसानों से 1200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से जलकर वसूला जाता है, क्योंकि उन्हें सीधे खेत तक पानी पहुंचाया जाता है।

किसान मोहन सिंह का सुझाव व्यावहारिक है। वे कहते हैं कि यदि अंडरग्राउंड सिस्टम का विस्तार किया जाए और किसानों को जरूरत के अनुसार पांच बार पानी मिल जाए, तो उनकी समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

सरकार की यह माफी योजना निश्चित रूप से किसानों के लिए राहत की खबर है, लेकिन यह केवल तात्कालिक समाधान है। मूल समस्या समय पर पर्याप्त पानी और बिजली की उपलब्धता की है। जब तक फसल चक्र के अनुसार सिंचाई व्यवस्था में सुधार नहीं होगा और बिजली आपूर्ति में तालमेल नहीं बिठाया जाएगा, तब तक ऐसी माफी योजनाओं की जरूरत बनी रहेगी।

सरकार को चाहिए कि वह इस 84 करोड़ की माफी को एक अवसर के रूप में देखे और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए सिंचाई इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यापक सुधार करे। तभी किसानों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा और कृषि क्षेत्र में वास्तविक विकास संभव होगा।

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Author

  • Abdul Wasim Ansari is an independent journalist based in Rajgarh, Madhya Pradesh, bringing nearly a decade of experience in journalism since 2014. His work focuses on reporting from the grassroots level in the region.

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