मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में खाद की कमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कड़ाके की ठंड में वितरण केंद्रों पर लंबी लाइनें लगी हैं, जबकि कृषि विभाग पर्याप्त आपूर्ति का दावा कर रहा है।
कृषि विभाग के उपसंचालक सचिन जैन का कहना है कि जिले में 1 अक्टूबर से अब तक 65 हजार मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराई गई है, जिसमें से 60 हजार टन वितरित हो चुकी है। उनके अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक यूरिया किसानों को दी गई है।
लेकिन कृषि उपज मंडी में पहुंचने पर तस्वीर अलग नजर आती है। किसान इंदर सिंह बताते हैं कि उन्हें 10 दिन पहले कागज जमा किए थे, लेकिन अब तक खाद नहीं मिली। वे तीन दिनों से रोज आ रहे हैं, पर कागज तक वापस नहीं मिल रहे।
डिफॉल्टर किसानों की समस्या
जिले में 43,296 किसान डिफॉल्टर हैं, जिन्हें सोसाइटी से खाद नहीं मिल रहा। केंद्रीय सहकारी बैंक के दिलीप कुमार चौहान बताते हैं कि पुराना बकाया जमा होने तक इन किसानों को न खाद मिलेगा, न बीमे का लाभ।
बाईहेड़ा गांव के जितेंद्र रुहेला कहते हैं कि जिस जमीन की केसीसी नहीं है, उसके लिए खाद की व्यवस्था नहीं हो पा रही। एक बीघा पर एक बोरी का नियम है, लेकिन जरूरत ज्यादा है।
गोदाम प्रभारी शाहीना खान का कहना है कि सिर्फ दो दिन खाद नहीं थी, इसलिए भीड़ दिख रही है।
स्थिति साफ है – सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क है।
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