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मध्य प्रदेश में कोल्डरिफ़ कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत का पूरा घटनाक्रम

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सितंबर 2025 की शुरुआत में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के कई गांवों में बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़नी शुरू हुई। शुरुआत में लक्षण बुखार, उल्टी और कमजोरी के थे। डॉक्टरों ने पहले एन्सेफेलाइटिस का अंदेशा जताया, लेकिन जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए—कफ सिरप “कोल्डरिफ़” के सैंपल में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसकी अनुमेय मात्रा 0.1% तय करता है।

यह घातक रसायन बच्चों के शरीर में पहुंचने के बाद किडनी फेलियर का कारण बना और 5 साल से कम उम्र के 14 मासूम बच्चे जिंदगी से हाथ धो बैठे। उत्पादक कंपनी तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मा थी, जिसने कथित रूप से इंडस्ट्रियल ग्रेड प्रॉपलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल करके लागत बचाने की कोशिश की। इंडस्ट्रियल ग्रेड सामग्री आमतौर पर डिटर्जेंट, एंटीफ्रीज़ और पेंट में प्रयोग होती है तथा मानव सेवन के लिए पूरी तरह असुरक्षित है।

भारत में यह कोई पहला मामला नहीं है। 2022 से गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में भारतीय कफ सिरप से 141 बच्चों की जान गई थी। 2019 में भी भारत में 12 बच्चों ने अपनी जान गंवाई थी। विदेशी मौतों के बाद 2023 में भारत सरकार ने सिरप निर्यात से पहले परीक्षण अनिवार्य किया, लेकिन घरेलू बिक्री के लिए कोई सख़्त नियम नहीं बनाए। यही लापरवाही इस त्रासदी का एक बड़ा कारण बनी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोल्डरिफ़ के कुछ बैचों को केंद्रीय नियामक ने पहले ही मंजूरी दे दी थी और बाद में राज्य एफडीए की जांच में दोष सामने आया।

भारत वैश्विक फार्मा निर्यात में तीसरे स्थान पर है। ऐसे में इस तरह की घटनाएं न केवल स्थानीय उपभोक्ताओं के भरोसे को तोड़ रही हैं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों की सफलता तभी संभव है जब गुणवत्ता और सुरक्षा पर कोई समझौता न हो।

कार्रवाई के तहत पुलिस ने श्रीसन फार्मा को मुख्य आरोपी बनाया है और उस डॉक्टर को भी गिरफ्तार किया है जिसने लक्षण स्पष्ट होने के बाद भी बच्चों को सिरप देना जारी रखा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कंपनी का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की है, और कई राज्यों में इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कंपनी और डॉक्टर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें दोषी पाए जाने पर 10 साल से उम्रकैद तक सजा हो सकती है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने देशभर में जोखिम-आधारित निरीक्षण शुरू कर दिया है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी रोकी जा सके।

यह घटना एक सख्त चेतावनी है कि फार्मा क्षेत्र में गुणवत्ता नियंत्रण की कमी, लालच और भ्रष्टाचार कैसे निर्दोष जीवनों को लील सकता है। जब तक नियामक, कंपनियां और सरकार मिलकर सख़्ती नहीं दिखाते, तब तक “कोल्डरिफ़” जैसी कहानियां दोहराई जाती रहेंगी।


Credits
Anchor: Pallav Jain
Script: Chandra Pratap Tiwari
Production: Himanshu Narware

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