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‘व्हीट ब्लास्ट’ क्या है, जिससे विश्व खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है?

'व्हीट ब्लास्ट' क्या है, जिससे विश्व खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है?
'व्हीट ब्लास्ट' क्या है, जिससे विश्व खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है?

भारत सहित पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से बाहर निकल रही है. लगभग सभी देशों से अब कर्फ्यू हट गया है, हवाई जहाज़, ट्रेन, बाज़ार, स्कूल और यूनिवर्सिटी पहले की तरह गतिशील हो गई हैं. मगर हाल ही में वैज्ञानिकों ने ‘व्हीट ब्लास्ट’ महामारी के दुनिया भर में फैलने की आशंका ज़ाहिर की है. कोरोना महामारी के उलट इसका शिकार विश्व में गेहूँ और अन्य आनाज की फसल हो सकती हैं. इस फसलों की महामारी ने फ़ूड सिक्योरिटी को एक बार फिर ख़तरे में डाल दिया है.  

क्या है व्हीट ब्लास्ट?

वैज्ञानिकों का मानना कि मैग्नापोर्थे ओराइज़े (Magnaporthe oryzae) नाम का फंगस दक्षिण अमेरिका से पूरे विश्व में फ़ैल सकता है. इस फंगस के चलते गेंहूँ और चावल जैसी फसलों को नुकसान पहुँचता है जिसे व्हीट या राइस ब्लास्ट के नाम से जाना जाता है. इस बिमारी के चलते घांस के रूप में उगने वाली फसलें जैसे गेहूँ या चावल के पौधे पत्तियों सहित सूख जाते हैं. 

पूरे विश्व में पहली बार इस बिमारी को ब्राज़ील में 1985 में देखा गया था. 1990 के दशक के प्रारंभ में दक्षिण अमेरिका में यह बिमारी भीषण रूप से फैली थी. इस दौरान इसने वहां लगभग 3 मिलियन हेक्टेयर भूमि को प्रभावित किया था. साल 2016 में व्हीट ब्लास्ट ने बांग्लादेश के 8 जिलों की 15 हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि को प्रभावित किया था. इससे होने वाले नुक्सान का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस दौरान बांग्लादेश में गेहूँ का उत्पादन आधा हो गया था.

बीमारी का इंसानों पर प्रभाव

गेहूँ विश्व भर में इंसानों के खाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसमें 20 प्रतिशत तक प्रोटीन होने के चलते यह विकासशील देशों के आहार का 50 प्रतिशत हिस्सा है. यदि यह बिमारी दक्षिण एशिया के खेतों में फैलती है तो यहाँ के लोगों पर और खाद्य सुरक्षा पर बेहद बुरा असर पड़ेगा. 

दुनिया के इस हिस्से में क़रीब 300 मिलियन कुपोषित लोग रहते हैं जौ करीब 100 मिलियन टन गेहूँ का उपभोग करते हैं।

कैसे फ़ैल रही है यह बीमारी?

साल 2018 में अफ्रीका के जाम्बिया में यह बिमारी पाई गई. अफ्रीका में इस बिमारी का यह पहला केस था. मगर इसके बाद से ही वैज्ञानिकों ने यह खोजना शुरू कर दिया कि आखिर यह बिमारी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंची कैसे? इस फंगस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा फंगस के 500 नमूनों का परिक्षण किया गया. इसके अलावा 71 नमूनों की जिनोम सीक्वेंसिंग की गई जिससे यह पता चलता है कि 2016 में बांग्लादेश और 2018 में ज़ाम्बिया में फैली इस बीमारी के पीछे दक्षिण अमेरिका से ही फैले इस फंगस की दो अलग-अलग वंशावली (disease lineage) ज़िम्मेदार थी. 

जानकारों का मानना है कि यह बीमारी एक देश से दूसरे देश संक्रमित बीजों के ज़रिये फ़ैल रही है. बांग्लादेश में फैली बीमारी का अध्ययन करने के बाद यह तथ्य सामने आए कि जब बांग्लादेश में यह बीमारी फैली थी उससे पहले बांग्लादेश ने बड़े पैमाने पर ब्राज़ील से गेंहूँ के बीजों का आयात किया था. 

बिमारी के किसानों के लिए मायने   

यह बीमारी मात्र एक हफ्ते के अन्दर ही फसल को नष्ट करने की क्षमता रखती है. कम समय के कारण इससे निपटना किसानों के लिए कठिन हो जाता है. इसके बचाव के तरीके को लेकर अब तक कोई स्पष्ट निर्देश नहीं खोजे जा सके हैं. फसल चक्रण यानि अलग-अलग तरह की फसल बोना इसका एक उपचार माना जा रहा है. हालाँकि इससे भी यह आंशिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके बीजाणु हवा में लंबी दूरी तय कर सकते हैं अतः इसका असर अन्य फसलों पर भी हो सकता है. अतः यह फंगस खेतों में बना रह सकता है. ऐसे में संक्रमित बीजों के उपयोग से बचना और लक्षण दिखने से पहले ही फंगीसाईट का छिड़काव इससे बचने का एक तरीका हो सकता है.

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