दिवाली की रात पटाखों की चमक के साथ सूर्योदय से पहले तक के दो‐तीन घंटे में हवा दूषित हो गयी। भोपाल में जहां मात्र दो घंटे में PM 2.5 का स्तर 65 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर लगभग 680 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया l
वहीं दिल्ली-एनसीआर में भी हालात बेहद चिंताजनक रहे। इस दौरान मौसम-स्थितियों, आतिशबाजी की तीव्रता व नगर निकायों द्वारा उठाए गए कदम नाकाम से साबित होते नजर आये हैं l वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 18 से 21 अक्टूबर तक मात्र ग्रीन पटाखे बेचने व फोड़ने की अनुमति दी थी। जिसके बाद भी दिल्ली का AQI ख़राब स्तिति में पहुच गया l
भोपाल की स्थिति
रात 9 बजे जब आतिशबाजी शुरू हुई, तब PM2.5 का स्तर लगभग 65 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। लेकिन रात 12 बजे तक यह 547 तक पहुंच गया। खास तौर पर कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास यह 680 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ।
इस वृद्धि का मतलब है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों (PM2.5) की मात्रा सामान्य से 7 से 10 गुना अधिक हो गयी थी। इस वर्ष भोपाल का औसतन एक्यूआई (AQI) 235 रहा, जो पिछले वर्ष के 194 से लगभग 17 % अधिक है। पिछले वर्ष (2023) में यह आंकड़ा 288 था।
दिल्ली-एनसीआर की स्थिति
दिवाली के ठीक बाद राजधानी एवं आसपास के इलाकों में एक्यूआई बहुत खराब व गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ। उदाहरण के लिए, नरेला में एक्यूआई 551 तक पहुंचा, अशोक विहार में 493 नोट किया गया। PM2.5 स्तर कुछ जगहों पर मानक स्तर का 29 गुना तक बढ़ गया। गाजियाबाद, नोएडा व दिल्ली के अन्य क्षेत्र भी बहुत खराब या गंभीर श्रेणी में थे।
इसके पीछे मुख्य कारणों में आतिशबाजी, वाहनों की बढ़ती संख्या, निर्माण धूल, व मौसम का स्थिर होना हैं। इसके साथ-साथ पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से उठ रहे धुंए का प्रभाव भी दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता पर पड़ता है।
इस वर्ष की दिवाली पर भले ही रोशनी और उल्लास रहा हो, लेकिन हवा की सच्चाई ने उजाले के पीछे सघन धुंध में बदल कर सामने आ गई। भोपाल में जहां एक-दो घंटे में प्रदूषण दस गुना तक बढ़ गया वहीं दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही बिगड़ी वायु गुणवत्ता आतिशबाजी के बाद चरम पर पहुंच गयी।
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की दी थी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 18 से 21 अक्टूबर तक मात्र ग्रीन पटाखे बेचने व फोड़ने की अनुमति दी थी । पीठ में शामिल मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने कहा कि यह कदम त्योहारी उत्सव व पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन को देखते हुए किया था ।
आदेश के मुताबिक, ग्रीन पटाखे सुबह 6 से 7 बजे तथा रात 8 से 10 बजे तक ही फोड़े जाने की अनुमति दी थी। इसके अलावा आदेश में केवल सीएसआईआर-एनईईआरआई प्रमाणित (CSIR‑NEERI) पटाखों की बिक्री की अनुमति थी, जिनमें भी क्यूआर कोड होना अनिवार्य था।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि पटाखे सिर्फ निर्धारित विक्रय स्थलों पर ही बेचे जायेंगे। नियमों के उल्लंघन करने पर लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। यह आदेश पटाखा उद्योग एवं उत्सव-संस्कृति की मांग को ध्यान में रखते हुए दिया गया है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पर्यावरण से समझौता नहीं किया जाएगा।
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