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मेरा भी बने मकान, पुंछ के इस गांव में क्यों नहीं मिला लोगों को PMAY के तहत घर?

मेरा भी बने मकान, पुंछ के इस गांव में क्यों नहीं मिला लोगों को PMAY के तहत घर?
मेरा भी बने मकान, पुंछ के इस गांव में क्यों नहीं मिला लोगों को PMAY के तहत घर?

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रेहाना कौसर रेशी, फतेहपुर, पुंछ | कोविड की पहली लहर के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में एक वर्चुअल माध्यम से PMAY योजना के तहत 175,000 नवनिर्मित घरों का उद्घाटन करते हुए कहा था, “पहले गरीब सरकार के पीछे भागते थे। अब सरकार उन लोगों तक पहुंच रही है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि अब किसी की इच्छा के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची से कोई नाम जोड़ा या हटाया नहीं जा सकता है। मकानों के शिलान्यास से लेकर उदघाटन तक के लिए घरों के निर्माण के लिए बेहद पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीका अपनाया गया है। इसमें कोई शक नहीं कि इस संबंध में सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है? इस दावे की पड़ताल के लिए ग्राउंड रिपोर्ट की टीम ने तीन तरफ से नियंत्रण रेखा से घिरे हुए पुंछ जिले के फतेहपुर गांव का जायज़ा लिया। सीमा तनाव के कारण, यह क्षेत्र हमेशा सुर्खियों में रहता है। जिसके कारण बेरोजगारी, गरीबी और पिछड़ापन यहां चरम पर है। पीएम आवास योजना के तहत आज भी कुछ लोग इस गांव में घर मिलने का इंतेज़ार कर रहे हैं।

देखिए हमारी रिपोर्ट

जिन लोगों को इस योजना से लाभ हुआ है, उनमें भी प्रभाव और राजनीतिक गठजोड़ की गंध आती है। पुंछ की मंडी तहसील के फतेहपुर गांव में कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें अभी तक इस योजना के बारे में सूचित नहीं किया गया है। PMAY के तहत उन्हें घर मिलने की उम्मीद है। अब तक 6 योजनाएं बनाई गई हैं लेकिन उनका नाम किसी सूची में शामिल नहीं किया गया है।

इसी सिलसिले में हमने एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुहम्मद रफीक नाम के शख्स से बात की जो मज़दूर है। वो अपने परिवार के साथ एक जर्जर मकान में रहते हैं जिसमें बारिश में पानी घुस जाता है। दीवारों में सिड़न लग जाती है, घर बारिश में ठंडा हो जाता है जिससे बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। इसमें एक छोटा सा कमरा है। इसका उपयोग रसोई के रूप में भी किया जाता है और इसमें सोने और आराम की सुविधा और घर के सभी बर्तन होते हैं। मुहम्मद रफीक की चार बेटियां हैं। उनका स्कूल का खर्च और खाने का खर्च दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है, घर के अभाव में खुले आसमान के नीचे रहने को वो मजबूर हैं।

मोहम्मद रफीक अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। उनके इस परिवार को PMAY लिस्ट में शामिल अभी तक क्यों नहीं शामिल किया गया इसका जवाब उनके पास नहीं है।

40 वर्षीय युवक मुहम्मद अकरम के मुताबिक कुछ परिवारों को अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिला है। गरीब परिवारों को इस योजना के बारे में सूचित भी नहीं किया गया था। किसी भी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा, “मैं सभी अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि गरीब परिवारों पर एक नजर डालें ताकि हम गरीबों को भी आपके द्वारा दी गई योजनाओं का लाभ मिल सके।”

इस संबंध में रफीक अहमद की पत्नी हाफिजा बेगम ने कहा, ‘हमारे पास घर नहीं होने की वजह से हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। “जब तेज़ बारिश हो रही होती है, तो सारा पानी मेरे घर में आ जाता है। मुझे बच्चों को पड़ोसियों के घर ले जाना पड़ता है”। अपना दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा, “मैं दुख से भरी हूं पूरी कहानी कौन सुनाए, कोई सुनने को तैयार नहीं है। हमारे पास शौचालय भी नहीं है। इसलिए, मैं सरकार से मदद मांगती हूं और अनुरोध करती हूं कि हमारा नाम स्थायी घर के लिए पीएमएवाई की सूची में शामिल किया जाए।

यह दर्द केवल एक मुहम्मद रफीक या मुहम्मद अकरम का नहीं है, बल्कि कई जरूरतमंद लोग हैं जो वास्तव में PMAY के हकदार हैं लेकिन आज तक उन्हें इसका लाभ नहीं मिला है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंदों को उनके अधिकार दें ताकि सरकार और प्रशासन में गरीब लोगों का विश्वास मजबूत हो सके. (चरखा फीचर)

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