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Parvati-Kalisindh-Chambal River Linking: 20 साल बाद चंबल को लबालब पानी, बीहड़ में हरियाली, 5 खास बातें!

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Parvati-Kalisindh-Chambal River Linking: 20 साल बाद चंबल को लबालब पानी, बीहड़ में हरियाली, 5 खास बातें!
Parvati-Kalisindh-Chambal River Linking: 20 साल बाद चंबल को लबालब पानी, बीहड़ में हरियाली, 5 खास बातें!

Parvati-Kalisindh-Chambal River Linking: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट (Parvati-Kalisindh-Chambal River Linking) के MoU (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किये। यह भारत सरकार के राष्ट्रीय नदी जोड़ो कार्यक्रम का दूसरा प्रोजेक्ट है। वर्ष 2004 से इस पर अब तक 13 बार बैठक हो चुकी है लेकिन यह पहला मौका है जब दोनों राज्यों के बीच आम सहमति के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए। जानिए इस प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें इस रिपोर्ट में…

अटल सरकार पर में हुई इस प्रोजेक्ट की पहल:
यह प्रोजेक्ट सबसे पहले वर्ष 2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान प्रकाश में आया था। लेकिन वर्ष 2005 यूपीए नीत कांग्रेस सरकार आने के बाद इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। अब जब की नदी जोड़ो अभियान मोदी सरकार के NPP (National Perspective Plan) का हिस्सा है, इस पर सरकार की गंभीरता दिखाई पड़ रही है।

13 जिलों मिलेगा पानी
इस परियोजना की अनुमानित लागत 75 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है और इससे मालवा चंबल बेल्ट के 13 जिलों को लाभ मिलेगा। इस समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के साथ ही इसके DPR बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी इसके बाद सहमति के लिए MoA (Memorandum of Agreement) पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।   

चंबल पहुंचेगा पानी, सिंचाई के साधन बढ़ेंगे, औद्योगिक प्रगति को भी बल
वर्तमान प्रपोजल के अनुसार पाटनपुर में पार्वती नदी पर एक डायवर्जन डैम बनाया जाएगा। एक डायवर्जन डैम मोहनपुरा में नेवज नदी (Newaz River) पर बनेगा और संग्रहण के लिए एक बांध कुण्डलिया में कालीसिंध नदी पर बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य पार्वती, नेवज और कालीसिंध के सरप्लस जल को गांधीसागर या राणाप्रताप सागर के माध्यम से चंबल तक पंहुचाना है। इससे घरेलू जल उपलब्धता के साथ-साथ सिंचाई के साधन बढ़ेंगे और औद्योगिक प्रगति को भी बल मिल सकेगा। 

इन जिलों को सीधे फायदा
इस परियोजना से सीमित जल उपलब्धता वाले जिले जैसे कि भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, मंदसौर और गुना में जल की उपलब्धता बढ़ेगी। इसके अलावा मध्य प्रदेश के औद्योगिक जिले जैसे इंदौर,उज्जैन, रतलाम, देवास, राजगढ़ आदि में सुलभ औद्योगिक जल आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। 

पर्यावरण, जलवायु संबंधी आकलन जरूरी
जैसा की अभी यह परियोजना अपने बिल्कुल ही प्रारंभिक अवस्था में है और इसे पूरा होने में अभी लम्बा समय लगेगा। इसकी सफलता के लिए जरूरी है की पर्यावरण और जलवायु सम्बन्धी आकलन भी अच्छी तरह से किये जाएं ताकि इलाज मर्ज से घातक न साबित हो, और प्रोजेक्ट के पूरा होने के साथ प्रदेश के बीहड़ फिर से हरे भरे हो जाएं।  

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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