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ओंकारेश्वर सौरऊर्जा परियोजना: हाई कोर्ट का अधिकारी प्रभारी पर 10 हजार का जुर्माना

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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच ने 29 अक्टूबर 2025 को ओंकारेश्वर सौरऊर्जा परियोजना के प्रभारी अधिकारी पर 10 हज़ार का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना परियोजना के खिलाफ मछुआरों की याचिका (डब्ल्यूपी क्रमांक 2522/2024) पर जवाब प्रस्तुत न करने के चलते लगाया गया है। साथ ही कोर्ट ने अधिकारी को दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

न्यायालय के आदेश के मुताबिक उक्त मामले में दिनांक 28 अप्रैल 2025 को राज्य को जवाब प्रस्तुत करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में चार सप्ताह का समय दिया गया था। लेकिन अधिकारी द्वारा अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। न्यायालय ने नाराज़गी जाहिर करते हुए हुए राज्य को दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया। मगर इस अवधि का लाभ केवल तब मिलेगा जब प्रभारी अधिकारी 10 हजार की राशि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जबलपुर के खाते में व्यक्तिगत रूप से जमा करेंगे। यह राशि सरकारी खजाने से नहीं ली जाएगी।

Fishermen lose their livelihood due to Omkareshwar Floating Solar
पानी पर सोलर प्लेट्स लगने की वजह से 312 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का काम नहीं कर पा रहे हैं। फ़ोटो: ग्राउंड रिपोर्ट

मछुआरों की आजीविका का सवाल

नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि ओंकारेश्वर बांध के जलाशय पर मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। 5 हज़ार करोड़ रुपए की लागत वाला यह प्रोजेक्ट दो चरणों में पूरा होगा। इस परियोजना के निर्माण की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कंपनी को दी गई है। 

इस पूरे प्रोजेक्ट में 6 लाख 20 हज़ार सोलर प्लेट्स लगाई जाएंगी। अकेले एखंड गांव में ही  2 लाख 2 हजार सोलर प्लेट पानी में लगाई गई हैं। इस कारण जलाशय में मत्स्याखेट कर जीवन यापन कर रहे मछुआरों की जीविका समाप्त हो गई है। मगर राज्य द्वारा इनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई जिसके चलते स्थानीय ‘मां सातमाता सैलानी मत्स्योद्योग सहकारी समिति’ एवं ‘मां काजलरानी विस्थापित आदिवासी मछुआरा सहकारी समिति’ द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

ओम्कारेश्वर में 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट स्थापित किया गया है। पानी पर सोलर प्लेट्स लगने की वजह से 312 से अधिक मछुआरे अब मछली पकड़ने का काम नहीं कर पा रहे हैं। परिवार के सदस्यों को भी शामिल करें तो इससे कुल 1877 लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। इनमें ज्यादातर लोग वो हैं जिन्हें ओमकारेश्वर बांध के निर्माण के वक्त अपना घर और ज़मीन खोनी पड़ी थी और विकल्प के तौर पर इन्होंने मछली पकड़ना या नाव चलाने का काम सीखा था। फ्लोटिंग सोलर इनके लिए दूसरे झटके की तरह होगा।

Omkareshwar floating solar: SJVN commissions 90 MW project
इस पूरे प्रोजेक्ट में 6 लाख 20 हज़ार सोलर प्लेट्स लगाई जाएंगी। फ़ोटो: ग्राउंड रिपोर्ट

मछुआरों की मांग

परियोजना की पर्यावरणीय एवं सामाजिक समाघात आंकलन रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सभी परिवारों की आजीविका फिर से स्थापित करने के लिए लोगों को परियोजना में स्थाई नौकरी और आर्थिक सहायता दी जायेगी। परंतु इस विषय में मछुआरों से आज तक कोई बात नहीं की गई। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित मछुआरों को परियोजना में स्थाई नौकरी दी जाये और भू-अर्जन क़ानून 2013 के अनुसार पुनर्वास का लाभ दिया जाए।

जस्टिस विशाल मिश्रा के समक्ष हुई सुनवाई में मछुआरों की ओर से अधिवक्ता श्रेयस पंडित ने बताया कि बार-बार मौके दिए जाने पर भी सरकार एवं संबंधित अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। दूसरी ओर आजीविका छिनने से मछुआरे बहुत गंभीर स्थिति मे हैं। इस पर न्यायालय ने सरकार को लताड़ते हुए संबंधित अधिकारी पर दस हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने आदेश दिया कि यह राशि अधिकारी को अपनी जेब से मप्र उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन में जमा करनी होगी। 

कोर्ट ने जवाब फाइल करने के लिए 2 सप्ताह का समय देते हुए कहा कि यदि इस अवधि में जवाब नहीं दिया जाता है तो अधिकारी को कोर्ट में स्वयं हाजिर रहना होगा। याचिका पर अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

गौरतलब है कि ग्राउंड रिपोर्ट के पल्लव जैन द्वारा इस मामले में मई 2024 को एक ग्राउंड रिपोर्ट की गई थी जिसमें इन मछुआरों की समस्या को विस्तार से बताया गया है।

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  • Abdul Wasim Ansari is an independent journalist based in Rajgarh, Madhya Pradesh, bringing nearly a decade of experience in journalism since 2014. His work focuses on reporting from the grassroots level in the region.

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