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मध्यप्रदेश: खुले में मीट बिक्री बंद, पर्दे के पीछे उजड़ रही लोगों की आजीविका

मध्यप्रदेश: खुले में मीट बिक्री बंद, पर्दे के पीछे उजड़ रही लोगों की आजीविका
मध्यप्रदेश: खुले में मीट बिक्री बंद, पर्दे के पीछे उजड़ रही लोगों की आजीविका

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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 470 किलोमीटर दूर स्थित मैहर शहर. यहाँ दिसंबर की दोपहर की धूप सेंकते मोहम्मद शमीम अपनी दुकान में ग्राहकों के आने की राह ताक रहे हैं. शमीम किस चीज़ की दुकान करते हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको उनकी दुकान के सामने लगे पर्दों को हटाकर अन्दर झांकना पड़ेगा. शमीम चिकन की दुकान चलाते हैं. मगर बाहर के मौसम की तरह उनका धन्धा भी ठण्डा पड़ा हुआ है. वह हमसे कहते हैं,

“दो-तीन दिन में बचा हुआ माल निकालकर दुकान बंद कर देंगे.” 

दरअसल 13 दिसंबर को हुई मध्यप्रदेश सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में मांस-मछली खुले में बेंचना पूर्णतः प्रतिबंधित होगा. इसके बाद मैहर में इस व्यापार से जुड़े ज़्यादातर व्यापारी अपनी आजीविका को लेकर असमंजस में हैं. उनका कहना है कि सरकार द्वारा उन्हें मांस मंडी बनवाकर नहीं दी गई है. ऐसे में वह अपना व्यापार कहाँ करें? इसे लेकर वह दुविधा मे हैं. हालाँकि दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों में पर्दे लगवा लिए गए हैं मगर उनका कहना है कि इससे उनका व्यापार प्रभावित होगा. 

meat shop behind curtains Madhya Pradesh
पर्दे के अन्दर संचालित मछली मार्किट

पर्दे के अन्दर संचालित होता मछली मार्किट

इस शहर के बाबा तालाब के समीप स्थित मछली बाज़ार में करीब 32 दुकानदार मछली बेंचते हैं. शहर का इस इलाका सतना रोड के किनारे स्थित है. पहले यहाँ सड़क के किनारे मछली बेंचते हुए लोग नज़र आते थे. मगर अब सारा बाज़ार पर्दे के अन्दर सिमट गया है. 40 वर्षीय राम विशेष केवट कहते हैं कि शासन द्वारा आदेश आने के बाद वह अपने साथी दुकानदारों की तरह पर्दे के अन्दर दुकान लगा रहे हैं मगर इससे उनका व्यापार 20 प्रतिशत तक कम गया है.

“हम करीब 5 हज़ार की पूंजी लगाते हैं जिसमें से बिकने के बाद केवल 500 से 600 रूपए ही बचता है.”

राम विशेष बताते हैं कि वह शहर के तालाबों से 140 रूपए प्रति किलो के भाव से मछ्ली ख़रीदकर लाते हैं. इसे वह 150 रूपए किलो बेचते हैं. इस तरह उन्हें केवल 10 रूपए प्रति किलो का ही फायदा होता है.

Meat market

अस्थाई बाज़ार

शहर के यह दुकानदार जिस जगह पर अपना व्यापार कर रहे हैं वह एक निजी भूखण्ड है. वह पूछते हैं कि जिस दिन उन्हें यहाँ से हटा दिया जाएगा वह कहाँ जाएँगे? अभी यह व्यापारी भूमि के मालिक की अनुमति से व्यापार कर रहे हैं. यहाँ मछली बेंचने वाले रिंकू बर्मन (23) कहते हैं,

“सरकार हमें एक मछली बाज़ार बनाकर दे दे तो हम वहां दुकान लगा लें. इस तरह से हमें स्थाई जगह भी मिल जाएगी और किसी को ऐतराज भी नहीं होगा.” 

fish market maihar
“सरकार हमें एक मछली बाज़ार बनाकर दे दे तो हम वहां दुकान लगा लें”

गौरतलब है कि मछली व्यापार का देश की कृषि जीडीपी में हिस्सा 5.23 प्रतिशत है. वहीँ 2018-19 में हुए आर्थिक सर्वे के अनुसार यह व्यापार 14.5 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है. हालाँकि इस आँकड़ें में तालाब में मछली पालन करने वाले कृषक भी शामिल हैं. वहीँ मध्यप्रदेश की बात करें तो यहाँ करीब 3.97 लाख हेक्टेयर (तालाब और टैंक) में मछली पालन किया जाता है. 

केवल नाम के लिए ही है मीट मंडी

मोहम्मद शमीम की तरह अकबर अली (55) भी शहर के पुरानी बस्ती इलाके में मांस का व्यापार करते हैं. उन्होंने हमें बताया कि इस शहर में मीट मंडी के लिए एक जगह अधिकृत की गई है. मगर वहां सुविधाओं के नाम पर केवल टीन शेड ही लगाए गए हैं. अली हमें उस जगह ले जाते हैं जहाँ यह ‘मंडी’ मौजूद है. इस जगह जाने के लिए हम एक संकरे रास्ते से होकर गुज़रते हैं. इस मंडी में हमें स्थानीय लोगों की कुछ बकरियां बंधी हुई नज़र आती हैं. लगभग 5×8 वर्ग फीट की जगह को पेंट से चिन्हित करके उसमें नंबर लिखे गए हैं. 

Meat market Maihar
इस मीट मार्किट में सुविधा के नाम पर केवल टीन शेड है

अली कहते हैं,

“यहाँ कोई भी सुविधा नहीं है. बिजली पंखा तो छोड़िए पानी निकलने के लिए नाली भी नहीं बनाई गई है.”

उनके अनुसार यदि वह वहां मुर्गा काटेंगे तो साफ़-सफ़ाई करने के बाद निकला हुआ पानी भी मंडी से बाहर नहीं निकल पाएगा. जिससे सड़न पैदा होने लगेगी. वहीँ यहाँ के स्थानीय लोग भी इस मंडी को संचालित करने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि दुर्गन्ध और गंदगी से बीमारी फैलेगी जिसका शिकार वो लोग होंगे. इस मंडी की संरचना का आलम यह है कि इसमें पक्की फ़र्श की जगह केवल मिट्टी की कच्ची फ़र्श है ऐसे में केवल एक दिन मंडी लगने पर ही यहाँ कीचड़ का अम्बार लग सकता है. 

Meat selling ban in open market
सादिया बी सरकार के इस फैसले के सख्त ख़िलाफ़ हैं

राजाओं के ज़माने के मीट मार्केट पर गहराता संकट

मैहर के रहीम चौक नामक इलाके में एक मस्जिद के सामने बड़ा सा हिस्सा फिलहाल सूनसान पड़ा हुआ है. हफ्ते में तीन बार यहाँ मीट बाज़ार लगाया जाता है. यहाँ व्यापार करने वाली सादिया बी बताती हैं कि यह बाज़ार राजाओं के ज़माने से यहीं लगाया जा रहा है. जिस छप्पर के घर से निकलकर वह बाहर आ रही थीं वही उनका आशियाना है. सादिया को एक हफ्ते में कुल मिलाकर 3 हज़ार रूपए ही बचते हैं. सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वह कहती हैं,

“सरकार ने हमने कोई रोज़गार तो दिया नहीं उल्टा छीनने जा रही है.” 

Meat selling ban in open market
बजरंग दल के श्याम त्रिपाठी इस बाज़ार को हटाने की मांग कई बार कर चुके हैं

दरअसल शहर के इस हिस्से में मीट मार्किट लगाए जाने का विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठन लम्बे समय से विरोध कर रहे हैं. बजरंग दल विश्व हिन्दू परिषद के ज़िला संयोजक श्याम त्रिपाठी कहते हैं,

“जहाँ यह बाज़ार लगता है वहां बजरंगबली की मंदिर है…नवरात्रि के दौरान यहाँ होने वाली शराबखोरी से हमारी हिन्दू माताओं-बहनों को दिक्कत होती है. इसलिए हमारी मांग है कि मैहर में मांस की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबन्ध हो.” 

नए बाज़ार को लेकर सवाल

मध्यप्रदेश की नई सरकार का यह फैसला बेहद चर्चा में हैं. इस फैसले से एक ओर जहाँ सत्ताधारी पार्टी ने अपने वोट बैंक को खुश किया है वहीँ इस व्यवसाय के ज़रिए अपनी आजीविका चला रहे लोगों को मीट मंडी जैसी सुविधा देने का दायित्व भी है. हालाँकि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि जब तक प्रदेश के इन व्यापारियों को नया बाज़ार बनाकर नहीं दिया जाता तब तक उन्हें शेड बनाकर दिए जाए. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अकबर अली कहते हैं,

“सरकार ऐसी जगह बाज़ार दे जहाँ लोगों को आना आसान हो. यदि शहर से दूर बाज़ार बनाया जाएगा तो परिवहन के खर्चे के कारण हमारा ही नुकसान होगा.”

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  • Shishir identifies himself as a young enthusiast passionate about telling tales of unheard. He covers the rural landscape with a socio-political angle. He loves reading books, watching theater, and having long conversations.

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