मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के टाइगर रिजर्व और वन्य जीव संरक्षण को लेकर बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि जिन क्षेत्रों में बाघों की संख्या अधिक है, वहां से बाघों को ट्रांसलोकेट किया जाएगा। ट्रांसलोकेट कर बाघों को उन जंगलों में बसाया जाएगा जहां जलवायु और प्रे-बेस (शिकार की उपलब्धता) बाघों के अनुकूल है।
बांधवगढ़ और रातापानी से होगा बाघों का स्थानांतरण
बैठक में बताया गया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और रातापानी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अधिक है। इस कारण बाघ अक्सर ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाते है। जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में यहां से बाघों को माधव टाइगर रिजर्व और रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व जैसे क्षेत्रों में बसाया जाएगा, जहां बाघों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जिन राज्यों को मध्यप्रदेश से बाघ दिए जाएंगे, उनसे बदले में उनके आइकोनिक वन्यजीव लिए जाएंगे। बैठक में ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को उनकी मांग के अनुसार तीन जोड़े बाघ देने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। इसके बदले में मध्य प्रदेश इन राज्यों से उनके प्रमुख वन्य जीव की मांग रखेगा।
गेंडा, डॉल्फिन और घड़ियाल लाने की योजना
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि असम से एक सींग वाले गैंडे को लाकर मध्यप्रदेश में बसाने के लिए उपयुक्त स्थान चुना जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में मगरमच्छ, कछुआ, घड़ियाल और डॉल्फिन को अन्य नदियों और तालाबों में बसाने की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री ने वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय फिल्म डिवीजन, डिस्कवरी चैनल और अन्य वाइल्ड लाइफ चैनलों के साथ मिलकर शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और प्रमोशनल कैप्सूल तैयार कराने के निर्देश दिए। उनका मानना है कि इससे प्रदेश की वाइल्ड लाइफ समृद्धि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
बैठक में 24 विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि डायवर्जन के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसमें प्रमुख रूप से वडोदरा-नागपुर एक्सप्रेसवे के लिए खंडवा और बैतूल जिलों में सतपुड़ा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर की 17.148 हेक्टेयर भूमि एनएचएआई को दी जाएगी। रायसेन जिले में सिंघोरी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की 0.85 हेक्टेयर भूमि ग्रामीण सड़क विकास निगम (RES) को सीसी रोड निर्माण के लिए दी जाएगी। रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर जोन की 1.575 हेक्टेयर भूमि पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) को सौंपी जाएगी।
इसके अलावा बैठक में बताया गया कि प्रदेश में जंगली हाथियों की ट्रैकिंग के लिए एआई आधारित गज रक्षक ऐप का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही हाथी विचरण वाले जिलों में हाथी मित्र दल बनाए गए है, जो ग्रामीणों और वन विभाग के बीच समन्वय स्थापित कर मानव-हाथी संघर्ष को कम करेंगे।
बैठक में बाघों का संतुलित वितरण, गेंडे और डॉल्फिन जैसे दुर्लभ जीवों का पुनर्वास और हाथियों की ट्रैकिंग को लेकर अहम् फैसले लिए गए हैं। हालांकि टाइगर कॉरिडोर, टाइगर रिज़र्व और वन्यजीव अभयारण्य की जमीन को निर्माण कार्य के लिए डाइवर्ट करने का फैसला भी बैठक में लिया गया है, जो कि संरक्षण के लिहाज से चिंताजनक है।
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