मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने फसल नुकसान से जूझ रहे किसानों की सहायता के लिए 653 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी किया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इसकी घोषणा करते हुए सिंगल क्लिक से राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बार है जब फसल के बाजार में पहुंचने से पहले ही मुआवजा राशि वितरित की गई है।
गौरतलब है की इस साल राज्य के कई जिलों में अत्यधिक वर्षा और येलो मोज़ेक वायरस से फसलें बर्बाद हो गई है। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार यह वायरस 12 जिलों में करीब 3 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र में फैल चुका है। इसका सबसे ज्यादा असर सोयाबीन, उड़द और मूंग जैसी दलहनी फसलों पर देखा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार इस बीमारी से 40 से 70 प्रतिशत तक की उपज हानि हो सकती है। सफेद मक्खियों से फैलने वाला यह वायरस विशेष रूप से गर्म और आर्द्र वातावरण में तेजी से फैलता है, जिससे मध्यप्रदेश का बड़ा हिस्सा संवेदनशील हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने किसानों से कहा कि भविष्य में भी ऐसी परिस्थितियों में समय पर मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने किसानों को भावांतर योजना का लाभ दिलाने का भी आश्वासन दिया, ताकि मूल्य अंतर की भरपाई हो सके।
साढ़े छः लाख हेक्टेयर में हुआ नुकसान
सरकार के अनुसार, 3,554 गांवों के कुल 8,84,880 किसानों को 6,52,865 हेक्टेयर फसल क्षति के लिए मुआवजा राशि दी गई है। इनमें से 1,854 गांवों के 3,90,275 किसानों को अतिवृष्टि और जलभराव से हुए नुकसान के लिए राहत मिली, जिससे 3,49,498 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई थी। वहीं, येलो मोज़ेक वायरस से प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को भी सीधे राहत पैकेज का लाभ दिया गया।
जिलेवार आंकड़ों पर नज़र डालें तो रतलाम जिले को सबसे अधिक 171 करोड़ रुपये, नीमच को 119 करोड़ रुपये और मंदसौर को 35 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है। बुरहानपुर जिले में तो एक केला किसान को 3.6 लाख रुपये तक का मुआवजा मिला है।
जानकारी देते हुए बताया की कृषि विभाग की टीम लगातार फील्ड सर्वे और उपग्रह चित्रों की मदद से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर रही है, जिससे सही किसानों को मुआवजा मिल सके। मुख्यमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि सरकार सिर्फ तत्काल राहत तक सीमित नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक समाधान पर भी काम कर रही है। इसमें रोग-प्रतिरोधी बीजों का विकास और बेहतर कीट प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देना शामिल है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने भावांतर योजना के तहत पंजीकरण की भी शुरुआत कर दी है। पहले यह पंजीयन 10 अक्टूबर से शुरू होना था।
ग्राउंड रिपोर्ट में हम कवर करते हैं पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों को जो आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। आपका समर्थन अनदेखी की गई आवाज़ों को बुलंद करता है– इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद।