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एमपी में नर्सिंग छात्र फर्ज़ीवाड़े और दलाली के शिकार, 3 साल से नहीं हुई परीक्षा

एमपी में नर्सिंग छात्र फर्ज़ीवाड़े और दलाली के शिकार, 3 साल से नहीं हुई परीक्षा
एमपी में नर्सिंग छात्र फर्ज़ीवाड़े और दलाली के शिकार, 3 साल से नहीं हुई परीक्षा

विक्रम पंवार (24) ने साल 2020 (सत्र 2020-21) में बीएससी नर्सिंग में प्रवेश लिया था. दाखिला लेते हुए उन्होंने सोचा था कि 4 साल के इस कोर्स को पूरा करने के बाद वह नौकरी करते हुए अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पाएँगे. मगर 3 साल गुज़रने के बाद भी वह प्रथम वर्ष के छात्र ही बने हुए हैं. हमने उनसे पूछा कि क्या वो सेमेस्टर परीक्षा में फ़ेल हो गए हैं? इसपर वह कहते हैं,

“3 साल से जब एग्जाम ही नहीं हुए तो क्या फेल और क्या पास.”

पंवार जैसे मध्य प्रदेश के लाखों पैरामेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. क्या सरकारी और क्या प्राइवेट, मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से सम्बंधित किसी भी कॉलेज में बीते 3 साल से वार्षिक परीक्षा आयोजित नहीं की गई है. इन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र बीते 3 साल से फर्स्ट इयर के छात्र ही बने हुए हैं. 

MP Nursing college scam: जानिए क्या है मामला?    

ग्राउंड रिपोर्ट से बात करते हुए मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज सिंह बताते हैं,

“छात्रों की परीक्षाएँ इस साल होनी थी. मगर हाईकोर्ट में लगे एक केस के चलते फरवरी में कोर्ट ने परीक्षाओं पर रोक लगा दी है.”

सिंह आगे कहते हैं कि सत्र 2020-21 की परीक्षा 07 दिसंबर 2021 में होनी थी जिसके लिए यूनिवर्सिटी ने 22 अक्टूबर को सूचना जारी की थी मगर तकनीकि कारणों से वह लेट हो गई. इसके बाद यूनिवर्सिटी ने कई बार परीक्षा का नोटिस तो निकाला मगर परीक्षा नहीं हुई. 

डॉ सिंह जिस केस की बात कर रहे हैं वह नर्सिंग घोटाले से सम्बंधित है. इस साल दिलीप कुमार शर्मा बनाम स्टेट ऑफ़ मध्यप्रदेश पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अप्रैल में नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जाँच (MP Nursing college scam) का आदेश दिया था. इस पर जाँच करते हुए 27 जुलाई को सीबीआई ने 140 कॉलेजों की जाँच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की थी. इस दौरान जाँच करते हुए सीबीआई ने 8 में से 4 सरकारी नर्सिंग कॉलेजों (MP Nursing college scam) को भी मान्यता के मानकों के समक्ष अयोग्य पाया था. 

(MP Nursing college scam)

MP Nursing college scam: बिना मान्यता के एडमिशन लिया

कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई (NSUI) की मेडिकल विंग के प्रमुख रवि परमार कहते हैं,

“साल 2020-21 के सत्र में ऐसे कॉलेजों ने भी छात्रों के एडमिशन लिए जिन्हें मान्यता नहीं दी गई थी. विश्विद्यालय और काउन्सिल ने आधे कॉलेजों को मान्यता दी और बाकियों को मान्यता देने में देरी की. यही कारण है कि साल 2022 तक इस सत्र के विद्यार्थियों की परीक्षा नहीं हो पाई.”

परमार इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं. वह कहते हैं कि कॉलेजों को मान्यता देने में देरी इसलिए की गई ताकि यूनिवर्सिटी पैसे लेकर मान्यता दे सके. इन आरोपों पर बात करते हुए डॉ. पुष्पराज सिंह कहते हैं,

“मान्यता देने का काम काउंसिल का है. यूनिवर्सिटी से अफ़िलिएशन होता है. यदि काउंसिल मान्यता दे दे तो हम अफ़िलिएशन देने से मना नहीं कर सकते.”   

सीबीआई जाँच के परिणाम 

कोर्ट में रिपोर्ट देने तक जाँच एजेंसी द्वारा कुल 140 कॉलेजों की जाँच की गई थी. इनके अलावा 169 कॉलेजों की जाँच के लिए समय माँगा गया था. जाँच में सीबीआई ने पाया कि ऐसे 62 कॉलेज जो बीते 5 साल से कम समय से चल रहे हैं, में से 27 (43.54 %) कॉलेज ही ऐसे हैं जो मान्यता देने योग्य हैं. इसके अतिरिक्त बीते 10 सालों से ज़्यादा समय से चल रहे 40 नर्सिंग कॉलेजों का निरिक्षण करते हुए जाँच एजेंसी ने 27 कॉलेजों को ही योग्य पाया था. 

नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर सवाल उठाने वाला कोर्ट में यह अकेला मामला नहीं है. इस केस के अतिरिक्त हाईकोर्ट की ही जबलपुर बेंच में लॉस्टूडेंट असोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने भी राज्य के आदिवासी ज़िलों में चल रहे 55 नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ केस दायर किया था. बघेल ने हमसे बात करते हुए बताया कि यह दोनों ही केस अब हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच यानि जबलपुर में संयुक्त रूप से लडे जाएँगे. मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी.

(MP Nursing college scam)

एक ही कोर्स की अलग फीस

राजगढ़ के रहने वाले ईश्वर पंवार (21) बीते 3 सालों से सैम (SAM) कॉलेज में बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी भी अब तक न तो कोई परीक्षा हुई है और ना ही वह पहले साल से आगे बढ़ पाए हैं. वह बताते हैं कि एडमिशन देते समय कॉलेज वालों की ओर से यह कहा गया था कि कॉलेज के पास सभी तरह की सुविधा है. मगर बाद में सब झूठ निकला. 

पूरी क्लास में ईश्वर की फीस सबसे ज़्यादा है. वह अपने कोर्स के लिए एक साल के लिए 80 हज़ार रूपए देते हैं. जबकि उन्हीं के क्लास में पढ़ने वाले अन्य बच्चे अलग-अलग फीस देते हैं. “मेरी फीस 80 हज़ार रूपए है जबकि मेरे ही मामा के लड़के की फीस 65 हज़ार रूपए है.” पंवार कहते हैं. वह बताते हैं कि कॉलेजों में खुद को कंसल्टेंट कहने वाले दलालों (MP Nursing college scam) के माध्यम से एडमिशन दिया जाता है जिसमें कमीशन के कारण हर छात्र की अलग-अलग फीस होती है. 

इसी प्रकार एनआरआई (NRI) कॉलेज में पढ़ने वाले अनिकेत पटेल (22) भी 75 हज़ार रूपए एक साल की फीस के रूप में देते हैं. वह भी इसी बात को दोहराते हैं. “दलालों के कारण हर स्टूडेंट की अलग-अलग फीस है. मेरे कॉलेज में कुछ छात्र मेरे से कम फीस देते हैं और कुछ मेरे से ज़्यादा.” 

इस मामले में जब हमने नर्सिंग काउंसिल के अधिकारी डॉ. योगेश शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि काउन्सिल को अब तक इस मामले में कोई भी कम्प्लेन नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर उन्होंने कार्यवाही करने की बात कही.

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  • Shishir identifies himself as a young enthusiast passionate about telling tales of unheard. He covers the rural landscape with a socio-political angle. He loves reading books, watching theater, and having long conversations.

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