खारक बांध परियोजना से विस्थापित आदिवासी परिवारों ने गुरुवार को खरगोन जिला कलेक्टरेट पर प्रदर्शन किया। प्रभावितों का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेशों के बावजूद अब तक उन्हें पुनर्वास राशि नहीं मिली है।
प्रदर्शन जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में आयोजित किया गया। संगठन के पदाधिकारियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री मोहन यादव, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और विभागीय सचिव से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर मुआवज़ा देने का आदेश दिया था, लेकिन सात साल बाद भी भुगतान नहीं हुआ। साथ ही, 2023 में सांसद गजेंद्र पटेल ने ग्रेवांस रिड्रेसल अथॉरिटी (GRA) में सुनवाई और पुनर्वास का भरोसा दिया था, मगर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।
प्रभावितों ने बताया कि 128 मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन फाइलें लंबित हैं। जिन परिवारों के पक्ष में आदेश पारित हो चुके हैं, उन्हें भी अब तक एक पैसा नहीं मिला।
मुख्य मांगों में GRA के लिए नए अध्यक्ष (सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश) की नियुक्ति, लंबित मामलों का निपटारा समयबद्ध तरीके से करने और आदेशित परिवारों को तुरंत भुगतान शामिल है।
जिला प्रशासन ने ज्ञापन प्राप्त करने के बाद शासन को पत्र भेजने और कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि इस बार भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को आर्थिक सहयोग करें।
यह भी पढ़ें
दस वर्षों से मूंडला बांध बंजर बना रहा किसानों के खेत, न मुआवज़ा, न सुनवाई
बरगी बांध: “सरकार के पास प्लांट के लिए पानी है किसानों के लिए नहीं”
ग्राउंड रिपोर्ट में हम कवर करते हैं पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों को जो आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। रियल-टाइम अपडेट के लिए हमारी वॉट्सएप कम्युनिटी से जुड़ें; यूट्यूब पर हमारी वीडियो रिपोर्ट देखें।
आपका समर्थन अनदेखी की गई आवाज़ों को बुलंद करता है– इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद।