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Jabalpur Cantt. विधानसभा में जनता किन मुद्दों पर डालेगी वोट?

Jabalpur Cantt. विधानसभा में जनता किन मुद्दों पर डालेगी वोट?
Jabalpur Cantt. विधानसभा में जनता किन मुद्दों पर डालेगी वोट?

जबलपुर कैंट (Jabalpur Cantt) , महाकौशल में भाजपा का गढ़ माना जाता है। भाजपा यहां वर्ष 1993 से लगातार जीतता आया है, एवं भाजपा ने यह छह चुनाव भारी अंतरों से जीता है। जबलपुर कैन्ट, जबलपुर का एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है, जिसका अधिकतम हिस्सा छावनी क्षेत्र में आता है, जहाँ अधिकतर सैन्य स्थापनाएं है। मध्यप्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अशोक रोहाणी को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस से अभिषेक चौकसे मैदान में हैं।

  • भाजपा – अशोक रोहाणी  (वर्तमान विधायक)
  • कांग्रेस – अभिषेक चौकसे ‘चिंटू ‘

Jabalpur Cantt विधानसभा का गणित

संस्कारधानी के नाम से पहचाने जाने वाले जबलपुर के कैंट (Jabalpur Cantt) विधानसभा क्षेत्र में शहर के तमाम शहर के आला अधिकारियों के बंगले और आर्मी के अफसरों के बंगलों के अलावा हाईकोर्ट एवं डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जजों के बंगले भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। इसी विधानसभा में सेना को गोला बारूद, टैंक वाहन से लेकर बड़े हथियार तक मुहैया कराने वाली आयुध निर्माणियां (Ordinance factories) यहीं पर है। इसके अतिरिक्त रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक कॉलेज और साइंस कॉलेज के साथ-साथ कुल 3 यूनिवर्सिटी भी इसी विधानसभा में हैं।

कैंट विधानसभा क्षेत्र में 91,191 पुरुष मतदाता और 87,900 महिला मतदाता हैं,  7 अन्य के साथ, कुल मिलाकर 179,098 मतदाता हैं। कैंट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अपनी विविध आबादी के लिए जाना जाता है, यहां पर देश भर की विभिन्न जातियों और धर्म के लोग हैं। ऐतिहासिक ब्रिटिश-निर्मित चर्चों की उपस्थिति ने विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को आकर्षित किया है, जिनमें एंग्लो-इंडियन ईसाई, तमिल, तेलुगु, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बिहारी और उत्तर प्रदेश के लोग शामिल हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में बिलहरी, बरेला एवं गोरा बाजार जैसे ग्रामीण क्षेत्र भी आते है, जिनकी  स्थिति छावनी क्षेत्र से बिलकुल विपरीत है। यह क्षेत्र अमीरी-गरीबी, सुविधा-असुविधा को एक साथ प्रस्तुत करता है।  

जातिगत समीकरण

कैंट सीट पर जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो अनुसूचित जाति के 18 प्रतिशत यानी 33,758 मतदाता, अनुसूचित जन जाति के 12,505 मतदाता हैं। वही सामान्य वर्ग के वोटर्स की बात करें तो इस सीट पर 71,600 वोटर्स (40 प्रतिशत) हैं, जिसमें 21 हजार ब्राह्मण, 10 हजार ठाकुर के अलावा जैन और अन्य बनिया समाज के 18 हजार वोटर्स हैं, जबकि अन्य 22, 600 वोटर्स है। अन्य पिछड़ा वर्ग की 37,509 वोटर्स जिसमें यादव 15 हजार, पटेल, कुशवाहा और अन्य 22,509 वोटर्स शामिल हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक वर्ग से 23,726 वोटर्स आते हैं। 

Jabalpur Cantt: राजनितिक इतिहास

जबलपुर कैंट का राजनितिक इतिहास देखा जाए तो, यहाँ 1990 तक कांग्रेस जीतती आयी है। परन्तु 1993 के विधानसभा चुनावों से वर्तमान तक यहाँ लगातर भाजपा की जीत हुई है। 1993  से 2008 तक यहाँ से ईश्वरदास रोहाणी , जिन्हे सब सम्मान से ‘दादा’ कहते थे जीते, वो 2003 से 2013 तक  मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। 2013 में चुनाव के कुछ ही दिन पूर्व ईश्वरदास रोहाणी  का निधन हो गया, एवं उसके बाद उनके पुत्र अशोक रोहाणी  को टिकट दिया गया।  अशोक रोहाणी  2013 और  2018 दोनों चुनावों में भारी अंतरों से जीते। पिछला चुनाव इन्होने 26,585 मतों के अंतर से जीता। इस चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर इन पर भरोसा जताया है। पिछले 30 वर्षों से इस विधानसभा पर एक ही परिवार का लगातार शासन रहा है। अशोक रोहाणी का पुश्तैनी ‘रोहाणी ट्रेवल्स’ के नाम से ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय भी है। 

वहीँ अगर अभिषेक चौकसे की बात की जाये तो, आपको ईश्वरदास रोहाणी  का शिष्य माना जाता रहा है। गौरतलब है  कि अभिषेक चौकसे का नाम 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान विवाद से जुड़ा था।  जिसके बाद तालमेल बिगड़ने पर अभिषेक चौकसे ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। अभिषेक चौकसे कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रह चुके है। 

Jabalpur Cantt के चुनावी मुद्दे- यहाँ का बड़ा शहरी क्षेत्र  जो की अंग्रेजों के समय से ही विकसित क्षेत्र रहा है, जहां सिविल लाइन्स, रक्षा मंत्रालय के संस्थान, छावनी एवं बड़े अफसरों के बंगले हैं, वहाँ विकास अपने उच्चतम  स्तर पर है। चौड़ी सड़कें, साफ़ सफाई, बिजली, पेयजल की व्यवस्था इत्यादि उपलब्ध है। 

दूसरी तरफ इस विधानसभा में कुछ ग्रामीण क्षेत्र जैसे रांझी, बिलहरी, बरेला इत्यादि भी है जहाँ बिजली, पानी सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पायीं है, एवं इनमे विकास की बहुत गुंजाईश है। 

राजनीतिक परिदृश्य

इस क्षेत्र से अशोक रोहाणी  भाजपा के सबसे बड़े नेता है, एवं उनकी  यहां मजबूत पकड़ भी है। गत वर्ष हुए नगर निगम के चुनावों में उन्होंने भाजपा को कैंट क्षेत्र में कमजोर नहीं पड़ने दिया था। वे यहाँ से 2 बार से भरी मतों से विजेता रहे हैं, एवं एक बड़े परिवार से आते हैं। इन सब के बावजूद भी भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया इस बात को लेकर कार्यकर्ताओं में  रोष भी रहा है। 

आर्थिक मुद्दे

इस विधानसभा (Jabalpur Cantt) में बड़ी तादाद में नौकरीपेशा एवं रिटायर लोग रहते हैं, वहीँ गरीब, ग्रामीण जनसँख्या भी मात्रा में रहती है । यह समीकरण इस क्षेत्र के चुनाव को थोड़ा दिलचस्प मोड़ देता है। इस विधानसभा में केंद्र व राज्य सरकार दोनों की नीतियां बराबर मायने रखती हैं। इसलिए यहाँ अग्निवीर, पुरानी पेंशन, बेरोजगारी जैसे विषय अहम् रहेंगे। 

निष्कर्ष

2018 में महाकौशल से कई महत्वपूर्ण सीटों में हार का सामना करना पड़ा, यह उनके चुनाव हारने की बड़ी वजह भी बनी थी। पर इस उथल-पुथल में भी भाजपा ने यह सीट बड़े ही धूम-धाम से जीती थी। 

इस विधानसभा में अशोक रोहाणी 2 कार्यकाल पुरे कर चुके हैं, उनके परिवार का यहां 30 वर्षों से अनवरत शाशन रहा है। वहीँ भारतीय जनता पार्टी ने मंत्रिमंडल में अशोक रोहाणी  को जगह न देकर उनके कद को कम आँका है। 

अशोक रोहाणी  के विरुद्ध भाजपा के भीतर भी हल्की-फुल्की बगावत भी देखने को मिली है, पर क्षेत्र में भाजपा के पास अशोक रोहाणी के स्तर का दूसरा  कोई चेहरा मौजूद नहीं है। वहीँ कांग्रेस नया चेहरा पेश कर के चुनाव को अपने पक्ष में करने के प्रयास में है। अब ये 3 दिसंबर को ही पता चलेगा की ऊँट किस करवट बैठता है।   

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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