मध्य प्रदेश में जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) का संचालन शुरू होने जा रहा है। इसमें राज्य के छह बड़े शहरों में ई-बसें शुरू होगी। जिसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर में इलेक्ट्रिक बसें चलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वच्छता पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान यह घोषणा की कि राज्य सरकार ने नगरीय निकायों को ई-बसों के चार्जिंग स्टेशन बनाने के निर्देश दिए हैं, ताकि संचालन जल्द शुरू हो सके।
भारत सरकार से मिलेगी 972 ई-बसों की सौगात
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों को कुल 972 ई-बसें देने का निर्णय लिया है। इनमें से 472 ई-बसों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और राज्य सरकार को इसकी जानकारी भी भेजी गई है। शेष 500 बसों के लिए केंद्र जल्द ही अगला चरण शुरू करेगा।
इस परियोजना के अंतर्गत 472 बसों का संचालन Green Cell Mobility Pvt Ltd द्वारा किया जाएगा। यह कंपनी बसों की आपूर्ति के साथ-साथ 10 डिपो और चार्जिंग स्टेशन भी बनाएगी। कंपनी को भारत सरकार की ओर से 12 साल की अवधि के लिए संचालन और रखरखाव (O&M) लागत भी दी जाएगी।
छह बड़े शहरों में शुरू होगा संचालन
पहले चरण में ई-बसों का संचालन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर नगर निगमों में किया जाएगा। इन शहरों में डिपो और चार्जिंग स्टेशन बनाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन को दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्वच्छ परिवहन व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। चार्जिंग स्टेशन बनते ही इन शहरों में बसें सड़कों पर उतरेगी। फिलहाल कई नगर निगमों ने चार्जिंग स्टेशन निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। राज्य सरकार चाहती है कि वर्ष 2026 की शुरुआत तक सभी बसें संचालन के लिए तैयार हों।
केंद्र द्वारा दी जा रही 472 बसों में से 362 बसें मिडी ई-बस (26 सीटर) होंगी और 110 मिनी ई-बस (21 सीटर) होगी । इनका संचालन GCC (Gross Cost Contract) मॉडल पर होगा, यानी बसों का परिचालन निजी कंपनी द्वारा किया जाएगा, जबकि किराया और रूट निर्धारण नगर निगमों के अधिकार क्षेत्र में रहेगा।
देवास, सागर और सतना में भी बसें
राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि दूसरे चरण में देवास, सागर और सतना नगर निगमों को भी ई-बसें दी जाएंगी। इन नगर निगमों को डिपो के लिए स्थान चयन और टेंडर प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए गए है। नगरीय विकास विभाग के अनुसार लक्ष्य है कि वर्ष 2026 तक दूसरे चरण की बसें भी संचालन के लिए तैयार हो जाएं। इससे प्रदेश के अधिक नगरों में स्वच्छ परिवहन की सुविधा उपलब्ध होगी।
जानकारी के अनुसार ई-बसें 100% इलेक्ट्रिक ऊर्जा पर चलेंगी, जिससे डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना में 60% तक कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। साथ ही बसों में लगे आधुनिक बैटरी सिस्टम से प्रति चार्ज लगभग 180 से 200 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकेगी।
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