मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच चीता कॉरिडोर परियोजना को लेकर होने वाला समझौता ज्ञापन (एमओयू) अब टल गया है। मिली जानकारी के अनुसार, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बीच चीता कॉरिडोर को लेकर बातचीत हुई थी।
यह समझौता तब हुआ जब राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा 30 जून 2024 को पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट का एमओयू करने भोपाल आए थे। दोनों राज्यों के बीच इसको लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होना तय किया गया था।
लेकिन हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एमओयू पर हस्ताक्षर अंतिम समय तक नहीं हुआ। राजस्थान ने अपनी ओर से स्वीकृति दे दी थी, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने अचानक निर्णय स्थगित कर दिया। एमओयू बाद में साइन करने का आश्वासन दिया गया।
चर्चा से नहीं निकला कोई हल
दरअसल, राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच चीता कॉरिडोर को लेकर हुई चर्चा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्थान के सीएम से कहा था— “टाइगर हम संभालेंगे, चीता आप संभालो।”
जिसके बाद से ही राजस्थान सरकार ने इस दिशा में तेजी से काम शुरू कर दिया। न केवल बजट सत्र में इस कॉरिडोर की घोषणा की गई, बल्कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से सर्वे कराने का अनुरोध भी किया गया। यानी, राजस्थान ने प्रशासनिक और नीतिगत दोनों स्तरों पर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की ठोस कोशिशें शुरू कर दीं।
अब सवाल यह उठ रहा है कि जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की पहल पर यह कॉरिडोर योजना शुरू हुई थी, तो अचानक एमपी इससे पीछे क्यों हट रहा है? अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा हालात में इस प्रोजेक्ट की अत्यधिक आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल चीतों के सुरक्षित आवागमन के लिए जरूरी है, बल्कि दोनों राज्यों के बीच वन्यजीव संरक्षण सहयोग को भी मजबूत करता है।
क्यों है चीता कॉरीडोर ज़रूरी?
चीता कॉरिडोर परियोजना भारत में प्रस्तावित एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण योजना है, जिसका उद्देश्य मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच एक सुरक्षित और प्राकृतिक मार्ग तैयार करना है, ताकि चीतों का स्वतंत्र आवागमन हो सके। यह मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभयारण्य के लिए प्रस्तावित किया गया है।
बता दें कि यह कॉरिडोर मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभयारण्य को राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जोड़ता है। कुल मिलाकर यह 17,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें एमपी के हिस्से में 10,500 और राजस्थान के हिस्से में 6,500 वर्ग किलोमीटर शामिल है। इसमें राजस्थान के कोटा संभाग के चारों जिले कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के साथ सवाई माधोपुर, करौली और चित्तौड़गढ़ भी शामिल हैं।
चीता परियोजना हेतु कॉरिडोर प्रबंधन के संबंध में 04/11/2024 को मध्य प्रदेश सरकार के आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) बनाने पर चर्चा हुई। इसका उद्देश्य यह है कि चीतों की आवाजाही के लिए गलियारे (कॉरिडोर) का विकास किया जा सके और चीता संरक्षण क्षेत्र में उनकी सुरक्षित आवाजाही का प्रबंधन किया जा सके।
इसके लिए एक समिति गलियारे की पहचान करेगी और उसकी व्यवहार्यता (feasibility) का अध्ययन करेगी। राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य और उसके पास के इलाकों, जैसे कुनो और रणथंभौर में, दोनों राज्यों के बीच मिलकर संयुक्त पर्यटन मार्ग बनाने की संभावना का आकलन किया जाएगा।
कुनो से राजस्थान की ओर मौजूदा गलियारों के जरिए जा रहे चीतों को संभालने के लिए निगरानी, गश्त और दूसरे जरूरी कदमों पर अधिकारियों और फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों की क्षमता बढ़ानी होगी। साथ ही, भविष्य में कुनो या गांधी सागर अभयारण्य से चीतों के स्थानांतरण के लिए उपयुक्त इलाकों में उनके लिए बेहतर आवास तैयार करने की सिफारिश की जाएगी। इसमें चरागाह विकसित करना और शिकार की संख्या बढ़ाना भी शामिल है।
इसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन फिलहाल के लिए इसे टाल दिया गया है।
एमओयू पर नहीं हुए हस्ताक्षर
राजस्थान की प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन शिखा मेहरा ने कहा कि दोनों राज्यों ने पहले इसकी मंजूरी दी थी और ड्राफ्ट एमओयू भी साझा किया गया था। “हमने अपनी सरकार से समझौता ज्ञापन को मंजूरी दिलवाई। मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने भी अपनी सरकार से इसे मंजूरी दिलवाई और हमें समझौता ज्ञापन का एमओयू सौंपा।”
उन्होंने बताया, “अगर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो गए होते, तो अध्ययन शुरू हो सकते थे। भारतीय वन्यजीव संस्थान इसमें शामिल हो सकता था और हम काम शुरू कर सकते थे।”
उन्होंने आगे बताया कि राजस्थान वन विभाग ने 23 जून को राज्य बोर्ड की बैठक में इस मामले का प्रस्ताव रखा था, लेकिन हस्ताक्षर से दो दिन पहले मध्य प्रदेश ने बताया कि वह बाद में इस पर फैसला लेगा।
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