सोमवार को भोपाल के शाहजहानी पार्क में प्रदेशभर से आए बिजली उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर व्यवस्था के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध मध्यप्रदेश बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन (MECA) के बैनर तले हुआ, जिसमें सैकड़ों उपभोक्ताओं ने हिस्सा लिया और सरकार से 11 प्रमुख मांगें रखीं गई हैं।
यह विरोध उस समय तेज हुआ जब कई जिलों के उपभोक्ताओं ने शिकायत की कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनके बिजली बिल अचानक कई गुना बढ़ गए हैं। सागर जिले के एक परिवार ने बताया कि जहां पहले उनका मासिक बिल केवल 100 से 200 रुपये तक आता था, वहीं अब स्मार्ट मीटर लगने के बाद यह बिल पांच हजार रुपये तक पहुँच गया है। कुछ उपभोक्ताओं ने तो यह तक कहा कि केवल एक बल्ब जलाने पर लाखों या करोड़ों रुपये का बिल दिखाया गया।
विरोधियों का कहना है कि स्मार्ट मीटर व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी है और उपभोक्ताओं पर जबरन यह प्रणाली थोपी जा रही है। उनका कहना है कि स्मार्ट मीटर को किसी भी समय प्रीपेड मोड में बदला जा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को पहले से रिचार्ज करना पड़ेगा। अगर बिल समय पर न भरा जाए तो बिजली तुरंत काट दी जाती है। वहीं, मीटर खराब होने की स्थिति में उपभोक्ताओं को नया मीटर खुद खरीदना पड़ता है। कई उपभोक्ताओं ने यह भी शिकायत की कि उन्हें अब बिजली बिल की हार्ड कॉपी नहीं मिलती और मीटर बदलने की प्रक्रिया भी अस्पष्ट है।
यह प्रदर्शन सोमवार, 5 अक्टूबर को भोपाल के शाहजहानी पार्क में आयोजित किया गया। इसमें राज्य के कई जिलों जैसे सागर, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन से उपभोक्ता पहुंचे। आंदोलन का नेतृत्व मध्यप्रदेश बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन ने किया। राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे को समर्थन मिला। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने बिजली विभाग पर तीखा हमला करते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की मर्जी के बिना जबरदस्ती लगाए जा रहे हैं। उन्होंने इसे आर्थिक अन्याय करार दिया और न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने कुल 11 मांगें रखीं। इनमें प्रमुख मांगें थीं- प्रत्येक उपभोक्ता को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने, स्मार्ट मीटर नीति को पूरी तरह रद्द करने, बढ़े हुए बिलों को वापस लेने और बिजली की दरें घटाने की। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली बिल की हार्ड कॉपी उपभोक्ताओं को दी जाए और पहले से लगे स्मार्ट मीटरों को हटाकर पुराने डिजिटल मीटर फिर से लगाए जाएं। इसके अलावा उपभोक्ताओं के खिलाफ मीटर विरोध को लेकर दर्ज एफआईआर और केसों को रद्द करने की मांग की गई। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उपभोक्ता किसी कारण बिल नहीं चुका पाता है, तो बिजली काटने से पहले कम से कम तीन महीने की मोहलत दी जानी चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने बिजली क्षेत्र में बढ़ते निजीकरण पर रोक लगाने और स्मार्ट मीटरों से जुड़ी तकनीकी गड़बड़ियों की स्वतंत्र जांच की मांग भी की।
विरोध कर रहे उपभोक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द कोई निर्णय नहीं लिया, तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलाया जाएगा। फिलहाल राज्य सरकार की ओर से इस प्रदर्शन पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह विरोध साफ तौर पर दिखाता है कि आम उपभोक्ता स्मार्ट मीटर व्यवस्था को लेकर असंतुष्ट और चिंतित हैं।
भोपाल में हुआ यह प्रदर्शन सिर्फ तकनीकी बदलाव के खिलाफ नहीं, बल्कि आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और उनके खर्चों से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। उपभोक्ताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर ने न केवल उनका घरेलू बजट बिगाड़ा है बल्कि बिजली व्यवस्था पर उनका भरोसा भी कमजोर किया है।
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