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‘खेत में पौधे लगाओ और पैसा कमाओ’ की स्कीम में किसानों से करोड़ों की ठगी

Farmers First Choice Scam
फार्मर्स फर्स्ट चॉईस नामक कंपनी का ऑफिस जिसपर धोखाधड़ी का आरोप है

राजगढ़/ ग्राउंड रिपोर्ट | मुकेश माली अपने खेत में खड़े होकर उन सूखे पौधों को देख रहे थे, जिनके लिए उन्होंने अपनी जमा-पूंजी लुटा दी थी। लखनवास गांव के इस किसान को आज भी याद है वह दिन, जब कुछ युवा एक चमकदार बुकलेट लेकर उनके पास आए थे और सपने दिखाए थे – पौधे लगाओ, हम देखभाल करेंगे, खाद डालेंगे, और तुम कमाओगे।

“तीन हजार रुपए के पौधे बुक किए थे मैंने। फिर वे लोग पिकअप लेकर आए, पौधे लगा गए। कुछ दिन बाद कहने लगे – जैविक खाद की एजेंसी लो, पूरे राजगढ़ में सिर्फ एक ही एजेंसी देंगे। किराया भी मिलेगा, कमिशन भी,” मुकेश बताते हैं, उनकी आवाज में अब भी वह धोखा साफ सुनाई देता है।

लालच में नहीं, विश्वास में मुकेश ने 1 लाख 65 हजार रुपए गंवा दिए। लेकिन मुकेश अकेले नहीं थे।

भोपाल बायपास रोड पर 22 बीघा जमीन में खेती करने वाले ब्रजमोहन शर्मा का बेटा बेरोजगार था। पिता ने सोचा, एक बार निवेश करो तो बेटे का रोजगार लग जाएगा। उसी कथित कंपनी के युवाओं ने ब्रजमोहन से भी बात की। नगद और खाते में ट्रांसफर करके ब्रजमोहन ने 5 लाख 25 हजार रुपए दे दिए।

फिर एक दिन जब ये सभी पीड़ित किसान नरसिंहगढ़ स्थित ऑफिस पर पहुंचे, तो वहां ताले लटके मिले। कंपनी रफूचक्कर हो चुकी थी। समान लेकर, पैसे लेकर, सपने छीनकर।

मुकेश, ब्रजमोहन, रोडमल, पवन माली, हरिप्रसाद, विष्णु प्रसाद, समीरउल्लाह, रामबाबू, विशाल और राजकुमार – ये सभी नाम एक ही कहानी के हिस्से थे। 27 सितंबर 2025 को दिलीप पुत्र दयाल सिंह निवासी नायहेड़ा की अगुवाई में इन सभी ने नरसिंहगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई। आरोप था – लगभग 20 लाख रुपए की ठगी।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस कंट्रोल रुम में अपराधियों और उनसे बरामद सामान को पेश करते हुए पुलिस

शनिवार 22 नवंबर को राजगढ़ पुलिस ने ‘ऑपरेशन किसान रक्षक’ के तहत बड़ी सफलता हासिल की। एसपी अमित तोलानी की टीम ने उत्तर प्रदेश से 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से 16 लाख रुपए नगद, एक कार और 28 मोबाइल फोन बरामद हुए।

“ये लोग फर्जी कंपनी बनाकर किसानों के बीच पहुंचते थे। सरकारी योजनाओं का प्रलोभन देकर ठगते थे। फर्जी सिम, फर्जी आईडी, फर्जी खाते – सब कुछ नकली था,” एसपी तोलानी बताते हैं।

ठगी का पूरा खेल

ठग कंपनी से जुड़े हुए अपराधी

विवेचना में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने विदिशा की एक महिला के नाम से फर्जी खाता खोल रखा था। किसानों से पैसे उस खाते में जमा कराए जाते थे, फिर नगद निकाल लिए जाते थे। राजगढ़ में तीन महीने तक बिना किसी रोक-टोक के ये लोग किसानों को ठगते रहे।

और सिर्फ राजगढ़ ही नहीं – खंडवा, सीहोर, विदिशा, शाजापुर में भी यही खेल चला। मध्य प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा की ठगी हो चुकी थी। इससे पहले छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान और झारखंड के किसान भी इनके जाल में फंस चुके थे।

जब पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा, तब वे रतलाम, नीमच, मंदसौर और राजस्थान के प्रतापगढ़ में अपना अगला शिकार ढूंढने की तैयारी कर रहे थे।

सवाल उठता है – तीन महीने तक नरसिंहगढ़ में कोई ऑफिस चलता रहा, किसान आते-जाते रहे, लेकिन किसी ने पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया? मकान मालिक ने थाने में सूचना नहीं दी?

ठगों से बरामद मोबाईल फोन और अन्य सामान

कृषि विभाग के उप संचालक सचिन जैन कहते हैं,

“कोई भी कंपनी ग्रामीण क्षेत्र में काम करे तो उसका लाइसेंस होना चाहिए। किसानों को लेनदेन से पहले जांच लेनी चाहिए और ब्लॉक स्तर के कृषि अधिकारियों को सूचना देनी चाहिए।”

मुकेश माली को अब थोड़ी राहत मिली है। “पूरी रकम न भी मिले, पर जो पैसा मैंने ब्याज लेकर इन्हें दिया था, वो तो वापस मिल जाएगा। ब्याज के जाल से तो बच जाऊंगा,” वे कहते हैं।

26 लाख रुपए का माल-असबाब जब्त हो चुका है। शेष आरोपियों की तलाश जारी है। लेकिन एक सवाल अब भी हवा में तैरता है – अगर शुरुआत में ही रोक-टोक होती, तो कितने किसान इस ठगी से बच जाते?


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Author

  • Abdul Wasim Ansari is an independent journalist based in Rajgarh, Madhya Pradesh, bringing nearly a decade of experience in journalism since 2014. His work focuses on reporting from the grassroots level in the region.

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