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कांग्रेस को और एक झटका, इंदौर के लोकसभा प्रत्याशी हुए भाजपा में शामिल

मध्यप्रदेश के इंदौर (Indore) से बड़ा अपडेट आया है। इंदौर से कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय कांति बम (Akshay Kanti Bam) ने अपना नामांकन वापस लेते हुए, भाजपा की सदस्यता ले ली है।

By Chandrapratap Tiwari
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akshay bam
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देश में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के दो चरण पूरे हो चुके हैं। अभी इस चुनाव के 4 चरण शेष हैं। यह चुनाव कई मायने में ख़ास है। देशभर में कई दिलचस्प चुनावी घटना घट रही हैं। इसी क्रम में मध्यप्रदेश के इंदौर (Indore) से बड़ा अपडेट आया है। इंदौर से कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय कांति बम (Akshay Kanti Bam) ने अपना नामांकन वापस लेते हुए, भाजपा की सदस्यता ले ली है। आइये जानते हैं क्या है ये पूरा मामला।

ऐन मौके में अक्षयकांति बम बदला पाला 

इंदौर लोकसभा में मतदान चौथे चरण में यानी 13 मई को तय है। इंदौर लोकसभा से नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 24 अप्रैल थी, और नामांकन वापस लेने की तारीख 29 अप्रैल तय थी। 29 अप्रैल की सुबह ही कांग्रेस इंदौर से कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, और साथ ही भाजपा की सदस्यता भी ले ली है। इस बात की पुष्टि कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvarigiy) ने अपने X अकाउंट में की, साथ ही उन्होंने अक्षय बम के साथ सेल्फी भी डाली है। 

इंदौर में भाजपा ने मौजूदा सांसद शंकर लालवानी को रिपीट किया था। कांग्रेस ने उनके खिलाफ एक दम नए नवेले चेहरे अक्षय कांति बम को उतारा था। अक्षय कमलनाथ के खास बताए जाते हैं। शुरुआती दौर में उन्होंने प्रचार में गर्मजोशी से भाग लिया था। चुनाव से पहले अक्षय इंदौर में अतिक्रमण हटाने आई नगर निगम की टीम से जोर-शोर से बहस भी की थी। लेकिन ऐन मौके उनका नामांकन वापस लेकर भाजपा में जाने का निर्णय चौंकाने वाला है। 

भाजपा की सूरत में लैंडस्लाइड विक्ट्री  

सूरत में दूसरे चरण में मतदान होना था। सूरत में भाजपा के मुकेश दलाल (Mukesh Dalal) के विरुद्ध कांग्रेस से नीलेश कुंभाणी (Nilesh Kumbhani) को उतारा था। कहानी में मोड़ तब आया जब निर्वाचन अधिकारी ने नीलेश के प्रस्तावकों के हस्ताक्षर जाली होने के आरोप में नीलेश का नामांकन रद्द कर दिया। नीलेश के 3 प्रस्तावकों ने एक हलफनामा दायर करते हुए कहा था की ये उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। नीलेश का नामांकन रद्द होने के बाद बचे हुए 8 उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया। इस  तरह भाजपा के मुकेश दलाल निर्विरोध ही सूरत के सांसद 'चुन' लिए गए। 

इस प्रकरण के बाद नीलेश कुंभाणी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। अभी हालिया स्थिति ये है कि कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए बर्खास्त कर दिया है। कांग्रेस ने अपने इस बर्खास्तगी के नोटिस में नीलेश पर  भाजपा के साथ मिलीभगत या नामांकन में लापरवाही का आरोप भी लगाया है।

इसके साथ ही नोटिस में भाजपा का मशीनरी पर दुरूपयोग और जनता के उनके चुनाव के अधिकार से वंचना का जिक्र करते हुए कहा कि "आपका फॉर्म अस्वीकृत होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उसके बाद भाजपा ने अपनी पूरी मशीनरी का इस्तेमाल किया और अन्य उम्मीदवारों को प्रलोभन, भय और उत्पीड़न का उपयोग करके अपने फॉर्म वापस ले लिए और इस तरह लोकतंत्र की हत्या की। भाजपा ने सूरत के मतदाताओं से वोट देने का अधिकार छीन लिया है। "

मध्यप्रदेश में हुए इस पूरे प्रकरण को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा इसे प्रजातंत्र के साथ अन्याय बताया है। 

बीच चुनाव में भी भाजपा का ऑपरेशन लोटस (Operation Lotus) सक्रिय है, और कांग्रेस लगातार बैकफुट पर जाती दिख रही है। भारत में चुनावों की ये स्थिति कोई नया डेमोक्रेटिक मॉडल है या कुछ और, इसकी विवेचना की जा सकती है। 

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