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साइबर सेल की शिकायत पर होल्ड की जा रही है निर्दोष लोगों के बैंक खातों में जमा राशि

Cyber Security
प्रतीकात्मक फोटो, ग्राउंड रिपोर्ट

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डिजीटल लेनदेन की सुविधा के साथ-साथ साइबर फ्रॉड के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। कई व्यक्तियों को यह जानकर झटका लगता है कि उनके बैंक खाते में जमा एक बड़ी राशि पर साइबर सेल के आदेश पर रोक लगा दी गई है – जबकि संबंधित लेन-देन पूरी तरह से वैध था। 

रोजाना सुबह 8:30 बजे अपने घर से निकलकर 25 किलोमीटर का सफर तय करके अपने ऑफिस पहुंचने वाले शाहिद खान को कभी नहीं लगा था कि एक दिन उनकी मेहनत की कमाई पर किसी और की गलती की सजा मिलेगी। राजगढ़ के रहने वाले शाहिद ब्यावरा में चोलामंडल आईएनवी एंड फाइनेंस कंपनी में क्रेडिट ऑपरेशन एग्जीक्यूटिव का काम करते हैं। आज उनके बैंक खाते में 5 हजार रुपए का होल्ड लगा हुआ है, और वे इस परेशानी से निकलने का रास्ता नहीं खोज पा रहे।

एक सामान्य कार्य दिवस की शुरुआत

26 जून 2024 का दिन शाहिद के लिए हर दूसरे दिन की तरह ही था। ऑफिस पहुंचने पर उनके साथी पुरुषोत्तम दांगी, जो सेल्स एग्जीक्यूटिव के पद पर काम करते हैं, ने उनसे मदद मांगी। पुरुषोत्तम के एक कस्टमर मुस्तफा सैफी को अपने वाहन की इंश्योरेंस पॉलिसी कराना था। कंपनी की नीति के अनुसार, पहले राशि जमा करनी होती है, फिर पॉलिसी की प्रक्रिया शुरू होती है।

पुरुषोत्तम ने फोन पे के माध्यम से शाहिद के खाते में 5900 रुपए ट्रांसफर किए। शेष राशि का इंतजाम होने के लगभग 24 घंटे बाद शाहिद ने पूरी रकम कंपनी के खाते में जमा कर दी और मुस्तफा सैफी को उनकी वाहन पॉलिसी मिल गई। सब कुछ सामान्य था, कोई समस्या नहीं थी।

अचानक आया झटका

5 अगस्त 2024 को शाहिद अपना बैंक स्टेटमेंट ऑनलाइन देख रहे थे तो उन्हें लगा कि कुछ गड़बड़ है। उनके बैंक में जमा राशि में से अवेलेबल बैलेंस 5 हजार कम दिखाई दे रहा था। परेशान होकर वे ब्यावरा में स्थित ICICI बैंक की शाखा पहुंचे।

बैंक मैनेजर पंकज कुमार ने उन्हें बताया, “आपके खाते में साइबर फ्रॉड की रकम जमा की गई है, इसलिए छिंदवाड़ा साइबर क्राइम पुलिस की शिकायत पर 5 हजार रुपए की राशि पर होल्ड लगाया गया है।” बैंक मैनेजर ने साइबर सेल के टोल फ्री नंबर भी उपलब्ध कराए।

शाहिद को समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। उन्होंने न तो कोई OTP किसी को बताया था, न ही कोई संदिग्ध लिंक पर क्लिक किया था। फिर भी उनका खाता फ्रीज हो गया था।

पुलिस की दुविधा और शाहिद की परेशानी

cyber crime victim shahid khan
राजगढ़ निवासी शाहिद शान अपने दफ्तर में, फोटो ग्राउंड रिपोर्ट

टोल फ्री नंबर पर बात करने पर शाहिद को छिंदवाड़ा साइबर पुलिस के कांस्टेबल अंकित शर्मा का नंबर मिला। अंकित शर्मा ने पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “छिंदवाड़ा जिले के एक व्यक्ति के साथ 68 हजार रुपए का साइबर फ्रॉड हुआ है। उसी फ्रॉड का अमाउंट लगभग 6 हजार रुपए आपके खाते में आया हुआ है।”

कांस्टेबल का समाधान सीधा था: “आपको लिखित में यह देना होगा कि साइबर फ्रॉड की यह राशि गलती से आपके खाते में आई है, जिसे आपको विक्टिम के खाते में जमा करना होगा। तभी आपके अकाउंट से 5 हजार का होल्ड हटाया जाएगा।”

शाहिद के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल था। वे कहते हैं, “मैंने अपने खाते में 5900 रुपए की रकम अपनी कंपनी के सेल्स एग्जीक्यूटिव से इंश्योरेंस की राशि के रूप में प्राप्त की है। मैं यह कैसे स्वीकार कर लूं कि यह रकम फ्रॉड की थी? ऐसा करने से तो मैं सीधे तौर पर इस फ्रॉड के केस में शामिल हो जाऊंगा।”

पवन चौरसिया: एक और मासूम शिकार

Cyber Crime Victims in India
राजगढ़ के पवन चौरसिया अपनी मोबाईल शॉप पर

इंडियन मोबाइल शॉप में लगभग 15 वर्षों से रिपेयरिंग का काम देख रहे 32 वर्षीय पवन चौरसिया की कहानी शाहिद से मिलती-जुलती है। पवन के खाते में भी 5 हजार रुपए का होल्ड लगा हुआ है।

पवन बताते हैं, “मुझे 6 हजार रुपए दुकान मालिक मुस्तफा सैफी ने अपने अकाउंट से ट्रांसफर किए थे। मैंने वही राशि चोला फाइनेंस कंपनी के सेल्स एग्जीक्यूटिव पुरुषोत्तम दांगी के खाते में ट्रांसफर की थी। यह पूरी तरह से ऑफिशियल काम था।”

अब पवन, उनके दुकान मालिक मुस्तफा सैफी और शाहिद खान – तीनों के अकाउंट में होल्ड लगा है। पवन कहते हैं, “बैंक जाते हैं तो वहां से साइबर सेल के नंबर देते हैं। बात करने पर भी कुछ नहीं होता। अब तो जाना ही छोड़ दिया है, क्योंकि बार-बार दुकान बंद करके दफ्तरों के चक्कर नहीं लगा सकते।”

मुस्तफा सैफी: व्यापारी की व्यथा

ब्यावरा शहर में मोबाइल शॉप चलाने वाले मुस्तफा सैफी इस पूरी श्रृंखला की शुरुआत हैं। उनकी दुकान पर रोजाना आसपास के शहरी और ग्रामीण इलाकों से लोग आते-जाते रहते हैं। मोबाइल फोन सेलिंग, रिपेयर और रिचार्ज जैसे सभी काम होते हैं।

मुस्तफा बताते हैं, “मुझे अपनी गाड़ी का इंश्योरेंस कराना था। मैंने अपने कर्मचारी पवन को राशि ट्रांसफर की। पवन ने वही राशि सेल्स एग्जीक्यूटिव पुरुषोत्तम को दी। पुरुषोत्तम ने वही राशि शाहिद खान के खाते में ट्रांसफर की। शाहिद ने शेष राशि मिलने के बाद कंपनी के अकाउंट में पूरी रकम ट्रांसफर करके हमें पॉलिसी उपलब्ध करा दी।”

यह पूरी तरह से वैध व्यापारिक लेन-देन था, फिर भी सभी के अकाउंट में 5 हजार रुपए की राशि पर होल्ड लगा हुआ है। मुस्तफा कहते हैं, “एक वर्ष पूरा हो चुका है, लेकिन कोई समाधान नजर नहीं आ रहा।”

सिस्टम की जटिलता

पुरुषोत्तम दांगी, जो लगभग 5-6 वर्षों से चोला कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव का काम कर रहे हैं, इस पूरे मामले की जटिलता को समझाते हैं। वे कहते हैं, “शाहिद के खाते में जो रकम डाली गई थी, वो मेरे अकाउंट के माध्यम से डाली गई थी। यह रकम मुझे मुस्तफा सैफी के कर्मचारी पवन ने दी थी। हमने अमाउंट के लिए मुस्तफा के पास जाकर बात भी की है, लेकिन वे कहते हैं कि उन्होंने तो ट्रांसफर कर दिया। अब हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।”

साइबर सेल बैंक फंड पर रोक क्यों लगाती है?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, भारतीय दंड संहिता की धारा 420, और IT अधिनियम की धारा 66D के प्रावधानों के तहत, पुलिस या साइबर अधिकारी बैंकों को आपराधिक गतिविधि से जुड़े संदिग्ध फंड को फ्रीज करने या रोकने का नोटिस जारी करने के लिए अधिकृत हैं।

1. संदिग्ध धन का स्रोत

कभी-कभी फ्रॉड या धोखाधड़ी की गतिविधियों से आने वाले पैसे – प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से – एक निर्दोष व्यक्ति के खाते में स्थानांतरित हो जाते हैं ताकि मूल स्रोत को छुपाया जा सके। यदि आपके खाते में अनजाने में भी ऐसे पैसे आते हैं, तो वह जांच के दायरे में आ सकता है।

2. शिकायत या FIR दर्ज

यदि साइबर फ्रॉड का कोई शिकार शिकायत या FIR दर्ज करता है और आपका बैंक खाता जांच में शामिल हो जाता है, तो साइबर सेल बैंक को संबंधित राशि पर रोक लगाने का निर्देश दे सकती है।

3. मनी लॉन्डरिंग निरोधी अनुपालन

भारत के एंटी-मनी लॉन्डरिंग (AML) और KYC नियमों के तहत, यदि अचानक बड़ी मात्रा में पैसा आता है या लेन-देन के पैटर्न असामान्य दिखते हैं, तो बैंक और साइबर यूनिट इसके स्रोत और वैधता की जांच के लिए राशि पर रोक लगा सकते हैं।

4. संदिग्ध लेन-देन पैटर्न

यदि आपका बैंक खाता सैलेरी या व्यक्तिगत खाते के रूप में वर्गीकृत है और उसमें अज्ञात स्रोतों से कई बड़े जमा आने लगते हैं, तो यह लाल झंडी दिखा सकता है।

छिंदवाड़ा पुलिस की साइबर सेल में पदस्थ कांस्टेबल अंकित शर्मा इस स्थिति की जटिलता को स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं, “साइबर सेल की प्रक्रिया यही है कि यदि इनके खाते में पैसा आया है तो इन्हें जमा करना ही होगा, भले ही शाहिद का इसमें सीधे तौर पर कोई रोल नहीं है। मैं भी प्रक्रिया में बंधा हुआ हूं।”

अंकित शर्मा आगे कहते हैं, “यदि शाहिद के सिर्फ बयान देने से ही विक्टिम संतुष्ट हो जाता है और वह इस बात के लिए सहमत हो जाता है कि संबंधित के अकाउंट से 5 हजार रुपए का होल्ड हटा लिया जाए, तो जरूर हटा लिया जाएगा। लेकिन विक्टिम की सहमति के बिना हम कुछ नहीं कर सकते।”

कानूनी पहलू और न्यायालयी राय

एडवोकेट सव्य साची सक्सेना

इंदौर हाईकोर्ट के एडवोकेट सव्य साची सक्सेना इस समस्या की जड़ को समझाते हैं। वे कहते हैं, “देशभर में साइबर ठगी के केस सामने आते हैं, जिसमें साइबर क्राइम के पोर्टल से ऑनलाइन कंप्लेंट दर्ज होती है। कोई भी कंप्लेंट कर सकता है। ऐसे में साइबर वाले खाते से खाते में गई राशि का लिंक देखकर होल्ड लगाना शुरू कर देते हैं।”

एडवोकेट सक्सेना आगे कहते हैं, “लेकिन कोई व्यापारी है जिसने व्यापार किया है, उसके बदले पैसा लिया और सर्विस या सामान दिया है। अब संबंधित व्यक्ति कहां से पैसा लेकर आया, यह उसे कैसे पता चलेगा?”

न्यायालय का फैसला

एडवोकेट सक्सेना ने वर्ष 2024 में इस मुद्दे पर रिट याचिका प्रस्तुत की थी, जिसमें बैंक और साइबर अथॉरिटी को भी पार्टी बनाया था। 7-8 महीने तक चलने के बाद कोर्ट ने अंतिम आदेश पारित किया।

कोर्ट के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया कि साइबर फ्रॉड से संबंधित मामलों में खाताधारकों के खाते में होल्ड नहीं लगाया जा सकता। साथ ही CrPC 102 को फॉलो करना भी अनिवार्य है, जिसमें खाताधारक की विवादित राशि की 3 महीने के लिए FD की जाएगी। उस समय के अंदर प्रक्रिया फॉलो करनी होगी, अन्यथा 3 महीने के अंदर ही मय ब्याज के विवादित राशि खाताधारक के खाते में ट्रांसफर करनी होगी।

सिस्टम की विडंबना: एक अजीब मामला

एडवोकेट सक्सेना एक और दिलचस्प मामले का जिक्र करते हैं जो सिस्टम की खामियों को दर्शाता है। वे कहते हैं, “वर्ष 2024 में मैंने एक केस सॉल्व किया था, जिसमें इंदौर जिले के एक थाना प्रभारी के साथ ठगी हुई। थाना प्रभारी ने अपने सोर्स का इस्तेमाल करते हुए फ्रॉड व्यक्ति के खाते को सीज करा दिया।”

“कोर्ट के ऑर्डर के बाद फ्रॉड के खाते से राशि को रिवर्स करके थाना प्रभारी के खाते में ट्रांसफर करने के आदेश भी जारी कर दिए गए। राशि भी थाना प्रभारी के खाते में जमा कर दी गई। लेकिन खाता फ्रॉड व्यक्ति का था इसलिए दोबारा से सिस्टम ने थाना प्रभारी का खाता सील कर दिया, क्योंकि फ्रॉड खाते से होकर रकम थाना प्रभारी के अकाउंट में आई थी।”

एक साल बाद की स्थिति

आज एक साल बाद भी शाहिद, पवन और मुस्तफा के खातों में होल्ड लगा हुआ है। शाहिद कहते हैं, “5 हजार रुपए पर होल्ड लगना मेरी एक महीने की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डाल रहा था। मैं मदद के लिए राजगढ़ SP ऑफिस में स्थित साइबर शाखा में भी गया, जहां मुझे एक दिन का समय लिया गया। लेकिन वहां भी वही शब्द दोहराए गए कि राशि उन्हें ही जमा करनी होगी।”

शाहिद आगे कहते हैं, “तब से लेकर अब तक एक वर्ष हो चुका है। मैंने अपने 5 हजार रुपए के होल्ड हटने की उम्मीद ही छोड़ दी है।”

समस्या की व्यापकता

यह समस्या केवल मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है। शाहिद, पवन और मुस्तफा जैसे पीड़ित देश के हर कोने में हैं। ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने न तो कोई OTP बताया, न किसी अनजान लिंक पर क्लिक किया, फिर भी वे सिस्टम के हाथों ठगे गए। इन्हें अब अपने खाते से होल्ड हटने की कोई उम्मीद नहीं है।

सरकार ने डिजिटल लेन-देन को आसान बनाया है, लेकिन साइबर फ्रॉड की राशि को रिकवर करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय नहीं किए हैं। इसका खामियाजा वे बेकसूर लोग भुगत रहे हैं, जिनका सीधे तौर पर साइबर फ्रॉड से कोई लेना-देना नहीं है।

डिजिटल इंडिया का सपना तभी साकार हो सकता है जब निर्दोष लोगों के साथ न्याय हो और सिस्टम में सुधार किया जाए। शाहिद, पवन और मुस्तफा की कहानी हजारों लोगों की कहानी है, जो आज भी न्याय की राह देख रहे हैं। 

क्या करें अगर आपके साथ ऐसा हो?

  1. दस्तावेज तैयार रखें: अपने सभी वैध ट्रांजैक्शन के रिकॉर्ड रखें
  2. बैंक से संपर्क करें: तुरंत अपने बैंक मैनेजर से मिलें
  3. साइबर सेल से बात करें: दिए गए टोल फ्री नंबर पर संपर्क करें
  4. कानूनी सलाह लें: जरूरत पड़ने पर वकील की मदद लें
  5. लिखित शिकायत दें: सभी कार्रवाई लिखित में करें

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  • Abdul Wasim Ansari is an independent journalist based in Rajgarh, Madhya Pradesh, bringing nearly a decade of experience in journalism since 2014. His work focuses on reporting from the grassroots level in the region.

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