...
Skip to content

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ़ जंग में ऐसे करें योगदान

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ़ जंग में ऐसे करें योगदान
सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ़ जंग में ऐसे करें योगदान

पल्लव जैन । ग्राउंड रिपोर्ट

आज सुबह-सुबह सब्ज़ी लेने निकला तो नज़ारा कुछ बदला-बदला नज़र आया। सब्ज़ी वाले नें सब्ज़ी प्लास्टिक बैग में नहीं कपड़े के बैग में पैक की और 5 रुपए एक्सट्रा चार्ज कर दिए। मैने अचानक इस बदलाव की वजह पूछी तो उसने कहा, भईया प्लास्टिक बैन हो गया है, अगर इस्तेमाल किया तो जुर्माना भरना होगा। फिर मुझे याद आया प्रधानमंत्री मोदी का 15 अगस्त को लाल किले से दिया गया भाषण, जिसमें उन्होनें सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल को 2 अक्टूबर( गांधी जयंती) के दिन से प्रतिबंधित करने का ऐलान किया था। सरकार 2 अक्टूबर को पूर्ण प्रतिबंध से पहले ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी करने के प्रयास में जुट गई है। यह एक सराहनीय कदम है लेकिन इसकी सफलता पूरी तरह इस देश के नागरिक पर निर्भर होगी। सरकार केवल प्रतिबंध और जुर्माने का प्रावधान कर सकती है। लेकिन इस अभियान की सफलता जनता के योगदान और प्रतिभागिता से ही संभव हो पाएगी। चलिए अब आपको बताते हैं कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक क्या है और किस तरह इससे पीछा छुड़ाया जा सकता है।

क्या होता है सिंगल यूज़ प्लास्टिक?

सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल हम केवल एक ही बार करते हैं, उसके बाद वह कूड़े में फेंक दिया जाता है। जैसे रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के थैले, कोल्ड्रिंक की बोतलें, शैंपू के पाउच, डिस्पोज़ल बर्तन, प्लास्टिक के स्ट्रॉ, खाद्य सामग्री की प्लास्टिक पैकिंग, टॉफी के रैपर आदि। हालांकि इसकी रीसाईक्लिंग की जा सकती है लेकिन सिंगल यूज प्‍लास्टिक का सिर्फ 1/13वां हिस्‍सा यानी लगभग 7.5 फीसदी ही रीसाइक्लिंग हो पाता है। बाकी बचा हिस्सा मिट्टी में दफ्न हो जाता है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।

क्या नुकसान है सिंगल यूज़ प्लास्टिक से ?

सिंगल यूज़ प्लास्टिक का पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जो प्लास्टिक हम इस्तेमाल कर रहे हैं वह नष्ट नहीं होता, उसके कण टूटकर ज़हरीले रसायन छोड़ते हैं, जो खाद्य़ सामग्रियों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। इन रसायनों से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा रहता है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक पानी में घुलता नहीं है जिसकी वजह से यह पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता है। प्लास्टिक के कण नदियों के सहारे समुद्रों तक पहुंचते हैं और वहां मौजूद जैव विविधता को बर्बाद कर देते हैं। समुद्र में रहने वाले प्राणियों का जीवन हमारे इस्तेमाल किए प्लास्टिक की वजह से खत्म होता जा रहा है। नीच दिए गए वीडियो को देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की हम किस तरह प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

COURTESY WWF International

कैसे बचें सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल से ?

इन 10 आदतों को अगर आप अपने जीवन का हिस्सा बना लें तो सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी आ सकती है-

1.बाज़ार जाएं तो जूट या कपड़े का थैला लेकर जाएं। अपनी जेब में हमेशा एक पतला कपड़े का थैला रखें यह एक रुमाल से ज्यादा जगह नहीं घेरेगा।

2.अगर आप आर्थिक रुप से सक्षम हैं और महीने की खरीददारी एक बार में ही कर लेते हैं तो कोशिश करें की छोटे प्रोडक्ट न खरीदें। जैसे शैंपू के 10 पाउच खरीदने से बेहतर है एक 100 ml की बोतल खरीद लेना।

3.पैक्ड प्रोडक्ट से ज़्यादा खुले प्रोडक्ट इस्तेमाल करें। जैसे शक्कर, दाल, आटा और मसाले के पैकेट खरीदने से बेहतर आप ज़रुरत के मुताबिक तुलवाकर खरीददारी करें। इससे आप पैकिंग की पन्नी अपने घर लाने से बच जाएंगे।

4.अगर दुकानदार आपको प्लास्टिक बैग में सामान देता है तो उसे कपड़े का बैग देने के लिए प्रेरित करें।

5.आॉनलाईन अगर आप खरीददारी करते हैं और आपका प्रोडक्ट प्लास्टिक में पैक होकर आए तो तुरंत उस कंपनी को टैग कर इस बात की शिकायत करें।

6.ऑनलाईन अगर आप फूड ऑडर करते हैं तो देखें की कोई भी खाद्य सामग्री, प्लास्टिक में पैक होकर न आए, प्लास्टिक में पैक गर्म खाना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। आप तुरंत इसकी शिकायत सोशल मीडिया पर कर सकते हैं।

7.जब हमारे घर में कोई फंक्शन होता है तो हम बाज़ार से डिस्पोज़ल बर्तन मंगवाते हैं। कोशिश करें की ये डिस्पोज़ कागज़ के बने हों। प्लास्टिक के कप चम्मच, थाली इस्तेमाल के बाद हम फेंक देते हैं जिससे प्रकृति को नुकसान होता है। बाज़ार में आजकल कई विकल्प मौजूद हैं, पारंपरिक पत्तों के दोने पत्तल भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

8.अगर आप व्यापारी हैं तो आपकी ज़िम्मेदारी थोड़ी अधिक बनती है। आपके पास आने वाले ग्राहकों को प्लास्टिक न इस्तेमाल करने को प्रेरित करें और अपनी दुकान में भी कम-से-कम प्लास्टिक में पैक प्रोडक्ट बेचें।

9.प्लास्टिक के कचरे को रिसायकलिंग के लिए दें इधर उधर खुले में न फेंके। ज़्यादा से ज़्याद लोगों में यह आर्टिकल शेयर करें और उन्हे प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत करवाएं।

हो सकता है आपको प्लास्टिक के विकल्प ढ़ूंढने में परेशानी हो या ज़्यादा पैसा खर्च करना पड़े। लेकिन हम प्राकृतिक एमरजेंसी के दौर में पहुंच चुके हैं, अगर हम आज नहीं संभले तो हमारा भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। हम टीवी डिबेट देखकर देश की सीमा पर जाकर जंग लड़ने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं तो फिर इतना योगदान तो हम ज़रुर कर पाएंगे। क्योंकि यह जंग केवल देश के लिए नहीं है पूरी पृथ्वी की खुशहाली के लिए है। आईए समय निकालकर देश और आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ कर गुज़र जाएं।

Author

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins