ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर NGT के आने वाले फैसला पारदर्शिता पर बहस शुरू कर दी है। इस प्रोजेक्ट को लेकर चल रहा विवाद अब एक अहम मोड़ पर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस प्रोजेक्ट को मिली पर्यावरणीय मंजूरी के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है और अब फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के मुताबिक, NGT अगले कुछ हफ्तों में अपना फैसला सुना सकता है।
क्या है मौजूदा स्थिति
इस मामले की सुनवाई छह सदस्यीय NGT बेंच ने की है जिसकी अध्यक्षता जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव कर रहे हैं। बेंच ने मुख्य याचिकाओं और एक इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन (अंतरिम आवेदन) पर सुनवाई पूरी कर ली है। यह आवेदन हाई पावर्ड कमेटी (HPC) की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग से जुड़ा था। यह कमेटी अप्रैल 2023 में बनी थी और इसकी प्रमुख पूर्व पर्यावरण सचिव लीना नंदन थीं।
इस कमेटी को NGT ने इसलिए बनाया था ताकि सरकार की इन्वायरमेंट असेसमेंट रिपोर्ट में रह गई खामियों की समीक्षा हो सके। फिलहाल कोई आधिकारिक तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन कोर्ट रिकॉर्ड से यह साफ है कि आदेश सुरक्षित रखा गया है।
क्यों अहम है यह मामला
81,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा मूल्य का ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट भारत के समुद्री और रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार की बड़ी कोशिश का हिस्सा है। नीति आयोग और सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, इसमें इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, हाइब्रिड गैस-सोलर पावर प्लांट, नई टाउनशिप और डुअल-यूज़ एयरपोर्ट शामिल हैं।
ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और स्वतंत्र विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रोजेक्ट द्वीप की दुर्लभ प्रजातियों और जनजातीय समुदायों पर गंभीर असर डाल सकता है। लेकिन सरकार खुद इस द्वीप की रणनीतिक स्थिति को मलक्का जलडमरूमध्य के नज़दीक होने की वजह से बेहद अहम मानती है।
हालांकि हालिया विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा है हाई पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करना। इंडियन एक्सप्रेस और लाइव लॉ की रिपोर्टों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की है। याचिकाकर्ता, जिनमें प्रमुख रूप से कार्यकर्ता आशिष कोठारी शामिल हैं, कहते हैं कि रिपोर्ट को छिपाना “ओपन जस्टिस” के सिद्धांत के खिलाफ है और इससे निष्पक्ष कानूनी चुनौती असंभव हो जाती है। वहीं पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) का कहना है कि HPC की अहम बातें उनकी आधिकारिक रिपोर्ट में शामिल हैं।
क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट
नीति आयोग और सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट लगभग 166 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैलेगा। इसमें ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर फैसिलिटी और अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा। सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक प्रमुख लॉजिस्टिक हब के रूप में स्थापित करेगा और आर्थिक व सामरिक गतिविधियों को मज़बूती देगा। लेकिन विशेषज्ञों के बयान बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट द्वीप के संरक्षित पारिस्थितिक क्षेत्रों और जनजातीय बस्तियों के लिए गंभीर खतरा है।
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