मध्यप्रदेश के भोपाल जिले की बैरसिया तहसील में किसानों ने पार्वती नदी पर बने क्षतिग्रस्त पुल की जगह स्थायी वैकल्पिक मार्ग बनाए जाने की मांग को लेकर सोमवार, 10 नवंबर को एक दिवसीय भूख हड़ताल की है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण आठ माह से अधिक समय से यह पुल बंद पड़ा है, जिससे खेती, व्यापार और बच्चों की शिक्षा पर गंभीर असर पड़ रहा है।
यह पुल भोपाल और राजगढ़ जिलों की सीमा पर स्थित पार्वती नदी पर बना है। करीब 49 वर्ष पुराना यह पुल बैरसिया, नजीराबाद और आसपास के सैकड़ों गांवों को नरसिंहगढ़, ब्यावरा, पचोर और राजगढ़ से जोड़ता था। पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रशासन ने इसे आवागमन के लिए बंद कर दिया था। अस्थायी वैकल्पिक मार्ग बनाया गया था, लेकिन बरसात के दौरान वह भी पानी में डूब गया।
किसानों का कहना है कि आठ महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। नतीजतन, ग्रामीणों को 50–60 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है। इससे बीमारों की जान खतरे में पड़ रही है, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और फसलें मंडी तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

इस भूख हड़ताल का आयोजन पार्वती नदी पुल स्थल पर ही किया गया, जहां किसानों ने जल सत्याग्रह करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। किसान कांग्रेस ग्रामीण भोपाल इकाई के नेतृत्व में यह आंदोलन हुआ, जिसमें सैकड़ों किसान शामिल थे। किसान कांग्रेस के नेता रामभाई मेहर ने कहा, “किसानों ने अब निवेदन नहीं, बल्कि चेतावनी दी है कि यदि सात दिन में वैकल्पिक रास्ता नहीं बना तो यह आंदोलन जन आंदोलन में बदलेगा।”
‘ग्राउंड रिपोर्ट’ ने इससे पहले भी इस पुल की जर्जर हालत और प्रभावित परिवारों की स्थिति पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें दिखाया गया था कि पुल बंद होने से खेती-बाड़ी, व्यापार और शिक्षा तीनों क्षेत्र गहराई से प्रभावित हैं।
किसानों की स्पष्ट मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द स्थायी और सुरक्षित वैकल्पिक मार्ग तैयार करे, ताकि लोगों को अनावश्यक दूरी तय न करनी पड़े और क्षेत्र का संपर्क पुनः बहाल हो सके।
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