गांव में अपने घर के बाहर दहलीज पर बैठे और गलियों में खेलते ये बच्चे नहीं जानते कि उन्हें आने वाले दिनों में अपना घर, गांव और ये गलियां छोड़कर कहीं और बसना पड़ सकता है। इस गांव में एक विशाल बांध प्रस्तावित है, जिसने समझदार ग्रामीणों का दिन का चैन और रातों की नींद छीन रखी है।
ग्राउंड रिपोर्ट की टीम गुना जिले के बीनागंज क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसे घाटाखेड़ी और आसपास के गांवों में पहुंची। यहां निराश चेहरा लिए बैठी बुजुर्ग महिला रामकुंवर बाई कहती हैं, “यहां कुछ नहीं बनेगा, और अगर कुछ बनेगा तो समझ लो उस दिन मेरा जीवन खत्म।”
गांव की एक अन्य महिला हर बाई आंखों में आंसू लिए भारी आवाज में कहती हैं, “हम सभी गांव में बहुत खुश हैं, लेकिन यदि यहां बड़ा बांध बन गया तो हमें यहां से जाना पड़ेगा। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर हम कहां जाएंगे, यह सोच-सोचकर बहुत दुखी हैं।”
रामकन्या सेन अपना कच्चा मकान दिखाते हुए कहती हैं, “सरकार हमें कितना मुआवजा देगी? ऐसा घर दूसरी जगह हमें कौन बनाकर देगा? कुछ भी हो जाए, हमारा गांव नहीं डूबना चाहिए, नहीं तो हमारे बच्चे जीते-जी मर जाएंगे।”
डैम की योजना और चिंता का कारण
पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना के तहत गुना जिले के घाटाखेड़ी गांव में एक विशाल बांध का निर्माण प्रस्तावित है। ग्रामीणों का कहना है कि एक बड़े बांध की जगह दो छोटे बांध बनाए जाएं, जिससे उनका गांव न डूबे और उन्हें विस्थापित न होना पड़े।
गांव के सुखदेव बताते हैं, “9 सितंबर को गांव में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जागरूकता शिविर आयोजित किया गया था। हमें बताया गया कि घाटाखेड़ी गांव में पार्वती पुल के समीप 400 एमसीएम का बांध बनाया जाएगा, जिसकी पाल लगभग 5 किलोमीटर और ऊंचाई 31 मीटर होगी।”
ग्रामीणों का विरोध
सुखदेव आगे कहते हैं, “हम लगातार इस बांध का विरोध कर रहे हैं। हमने एसडीएम को ज्ञापन दिया और ट्रैक्टर रैली भी निकाली, लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। बांध के लिए जो सर्वे किया गया, वह सैटेलाइट सर्वे बताया जा रहा है। जमीनी स्तर पर यहां न कोई अधिकारी आया और न ही जनप्रतिनिधि।”
वे बताते हैं, “हमारी भूमि मालवा की सबसे उपजाऊ भूमि है। हम यहां पहले से ही तीन फसलें ले रहे हैं।”
पीकेसी लिंक परियोजना का उद्देश्य
पीकेसी लिंक परियोजना के माध्यम से नदियों को जोड़ने का काम शुरू किया गया है। इसके तहत पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदी को जोड़कर मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित राजस्थान में भी पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में निर्माण कार्य होने हैं।
लेकिन घाटाखेड़ी गांव के ग्रामीण इस परियोजना के तहत बनाए जा रहे विशाल बांध के खिलाफ हैं। वे नहीं चाहते कि उन्हें अपना गांव, जमीन और खेत छोड़कर कहीं और बसना पड़े। इसलिए उनका विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है।
भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को आर्थिक सहयोग करें।
अन्य वीडियो रिपोर्ट्स
राजगढ़: टाईप वन डायबिटीज़ से बच्चों की जंग
मध्य प्रदेश में कोल्डरिफ़ कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत का पूरा घटनाक्रम
ग्राउंड रिपोर्ट में हम कवर करते हैं पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों को जो आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।