यह पॉडकास्ट ग्राउंड रिपोर्ट का डेली मॉर्निंग पॉडकास्ट है, जिसका प्रसारण बुधवार 22 अक्टूबर को हुआ था, और जिसके होस्ट चंद्र प्रताप हैं। यह पॉडकास्ट पर्यावरण से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण खबरों पर केंद्रित है।
आज की हेडलाईन्स
दिवाली प्रदूषण की भयावहता: दिवाली की रात पटाखों के कारण भोपाल में बड़े पैमाने पर प्रदूषण हुआ। भोपाल में पीएम 2.5 (PM 2.5) का स्तर केवल 2 घंटे के भीतर 65 से 680 तक पहुंच गया था। पटाखों का असर पूरे देश की हवा पर देखा गया, हालांकि छोटे शहरों ने राजधानी और बड़े शहरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। हरियाणा का जींद इस दौरान 421 एक्यूआई (AQI) के साथ देश में शीर्ष पर रहा था।
भोपाल के भूजल में कंटैमिनेशन: सेंट्रल ग्राउंड वाटर कमीशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल के भूजल (ग्राउंड वाटर) में क्लोराइड और नाइट्रेट की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक पाई गई है। भोपाल को संवेदनशील (sensitive) की श्रेणी में रखा गया है। कंटैमिनेशन की मात्रा 1.5 मिलीग्राम है, जो अनुमेय सीमा से काफी अधिक है।
मध्य प्रदेश का ड्रग टेस्टिंग प्रस्ताव: मध्य प्रदेश सरकार ने दवाओं की जांच और नियमन को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार को 211 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में हैंड हेल्ड डिवाइसेस, मोबाइल लैब, बढ़ा हुआ वर्क फोर्स और हर जिले में टेस्टिंग की सुविधाएं शामिल हैं। यह प्रस्ताव 20 से अधिक बच्चों की मौत के बाद भेजा गया है।
चर्चा का सारांश
पॉडकास्ट में मुख्य रूप से दो विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई: दिवाली के पटाखों से हुए प्रदूषण पर और भोपाल के भूजल दूषित होने पर।
1. दिवाली के पटाखों से खराब हुई हवा पर चर्चा
यह चर्चा ग्राउंड रिपोर्ट के हिंदी एडिटर, शिशिर अग्रवाल के साथ की गई।
दिल्ली में रिकॉर्ड प्रदूषण: शिशिर अग्रवाल ने बताया कि 2025 का दिवाली फेस्टिवल देश की राजधानी दिल्ली के लिए प्रदूषण के लिहाज से सबसे खराब रहा है।
PM 2.5 में तीव्र वृद्धि: दिवाली की रात पीएम 2.5 (पर्टिकुलेट मैटर 2.5) की रीडिंग 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी। इससे ठीक एक दिन पहले यह रीडिंग 156.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जिसका अर्थ है कि केवल एक रात में स्तर तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: पीएम 2.5 प्रदूषण के सबसे छोटे कण होते हैं, जो श्वसन के जरिए शरीर के अंदर जाते हैं और रेस्पिरेटरी डिजीज सहित कई बीमारियों पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
ग्रीन पटाखों की विफलता: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली में ग्रीन पटाखों पर से बैन हटा दिया गया था और पटाखे जलाने की एक समय सीमा भी तय की गई थी। हालांकि, 2021 से 2025 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2025 का आंकड़ा सबसे ज्यादा रहा, जो यह दिखाता है कि ग्रीन पटाखों का पूरा कॉन्सेप्ट फेल रहा है।
आंकड़ों की तुलना: 2023 में दिवाली पर पीएम 2.5 के लिहाज से सबसे कम प्रदूषण (92.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) हुआ था। 2025 में यह बढ़कर 488 हो गया।
स्थानीय प्रदूषण का महत्व: एस के ढाका ने इस धारणा का खंडन किया कि प्रदूषण पंजाब या हरियाणा से आया है, और कहा कि जिस तरीके से प्रदूषण बढ़ा है, वह यह दिखाता है कि यह लोकल लेवल का प्रदूषण है। उन्होंने ग्रीन फायर क्रैकर्स की गुणवत्ता की जांच को भी जरूरी बताया।
हुक्मरानों की प्रतिक्रिया: क्लाइमेट ट्रेंड्स की फाउंडर और डायरेक्टर आरती खोसला ने कहा कि वर्षों तक हानिकारक प्रभाव देखने के बावजूद हम वास्तविकता को नकारते रहे और वही गलती दोहराते रहे। चंद्र प्रताप ने इस संदर्भ में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस बयान का उल्लेख किया जब उन्होंने कहा था कि “हमारे यहां आओ और पटाखे फोड़ो”। यह भी याद दिलाया गया कि दिल्ली के सीएम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया था, लेकिन ऐतिहासिक प्रदूषण भी हुआ है।
2. भोपाल के भूजल दूषित होने पर चर्चा
यह चर्चा सहयोगी अब्दुल वसीम अंसारी के साथ की गई, जो भोपाल के ग्राउंड वाटर कंटैमिनेशन पर दैनिक भास्कर में छपी राहुल शर्मा की रिपोर्ट पर आधारित थी।
कंटैमिनेशन स्तर: सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल संवेदनशील श्रेणी में है। ग्राउंड वाटर में फ्लोराइड और नाइट्रेट की मात्रा 1.5 मिलीग्राम पाई गई है, जबकि सामान्य मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर होती है।
गंभीर स्वास्थ्य जोखिम: भूजल में नाइट्रेट, क्लोराइड, आयरन और यूरेनियम जैसे रासायनिक तत्वों की अधिक मात्रा से हड्डियों और दांतों से संबंधित बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है।
चिकित्सा विशेषज्ञ की राय: एमडी मेडिसिन डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि अधिक मात्रा में फ्लोराइड का सेवन गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। आम समस्या डेंटल फ्लोरसिस है, जिसमें बच्चों के दांतों पर सफेद या भूरे धब्बे पड़ जाते हैं। साथ ही, हड्डी और जोड़ों में दर्द, कठोरता और स्केलेटल फ्लोराइसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं, और कुछ मामलों में नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में व्यापकता: मध्य प्रदेश में 531 सैंपल स्थलों में से लगभग 23 प्रतिशत स्थानों पर नाइट्रेट का स्तर 45 mg/L से अधिक पाया गया, जिसमें विदिशा और सागर जिले भी शामिल हैं।
कारण और समाधान: एक रिटायर्ड हाइड्रोलॉजिस्ट संजय जी ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल खेती में होता है, जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ ग्राउंड वाटर लेवल को भी प्रभावित करता है। उन्होंने रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी।
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