मंगलवार रात को फिलीपींस के सेबू प्रांत में 6.9 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई। मिली जानकारी के अनुसार भूकंप से अब तक 69 लोगों की मौत हुई है और 150 से अधिक लोग घायल हुए है। भूकंप का केंद्र बोगो शहर के पास था, जो पूर्वी तटीय क्षेत्र में है। भूकंप की तीव्रता अपेक्षाकृत कम थी, लगभग 5 से 10 किलोमीटर मापी गई है, जिससे झटके बहुत प्रबल हुए। इस घटना पर भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
भूकंप के कारण नुकसान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सेबू प्रांत में सबसे अधिक क्षति हुई। स्थानीय अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया क्योंकि वे भारी संख्या में घायलो को संभालने में लगे है। सैन रेमिगियो (San Remigio) नामक नगर को अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है और वहां State of Calamity यानी आपदा की स्थिति लागू कर दी गई है, ताकि राहत एवं पुनर्वास कार्य तेज किए जा सकें।
भूकंप के कारण कई इमारतों, चर्चों और पुलों को क्षति हुई है। मलबे में कई लोग अभी भी दबे हुए हैं। एक खेल परिसर (Sports Complex) के ढहने के कारण भी कई लोगों की जान गई है। इसके अलावा सड़कें टूट गई , बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हुई, और कई इलाकों में संचार सुविधाएं ठप हो गई।
राहत एवं बचाव कार्य
राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता का भरोसा दिलाया है और राहत कार्यों का नेतृत्व करने के निर्देश दिए हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने बचाव दलों, सेना, पुलिस और स्वयंसेवकों को तैनात किया है। कुछ इलाकों में भारी बारिश और बादल फटना राहत कार्यों में बाधा डाल रहा है। स्थानीय अधिकारियों ने कहा है कि मलबे हटाने, घायलों को अस्पताल पहुंचाने और बुनियादी आवश्यकताओं जैसे पानी, भोजन व आश्रय उपलब्ध कराने के प्रयास जारी है।
भूकंप से पहले एक सुनामी चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन बाद में उसे हटा लिया गया। USGS और फिलीपिन वोल्केनोलॉजी संस्थान (PHIVOLCS) ने बताया कि इस भूकंप ने कम सक्रिय ऑफ़शोर फॉल्ट को हिला दिया है, जिसे लगभग 400 सालों से सुस्त माना जाता था। यहां कई झटके दर्ज किए गए हैं, जिनकी तीव्रता 5.0 से ऊपर तक रही है।
फिलीपींस इस भौगोलिक स्थिति के कारण “Ring of Fire” में आता है, जहां भूकंप और ज्वालामुखी घटनाएं अपेक्षाकृत अक्सर होती है। यह भूकंप न सिर्फ प्रसिद्ध शहरों को प्रभावित कर गया, बल्कि ग्रामीण एवं तटीय इलाकों में रहने वालों की जिंदगी और बुनियादी ढांचे को भी तहस‑नहस कर दिया। राहत एवं पुनर्वास कार्य बड़ी चुनौती बन गया है, विशेषतः उन स्थानों पर जहां सड़कें टूट गई है और आवागमन मुश्किल हो गया है। घायलों और मृतकों की संख्या अब भी बढ़ने की संभावना है।
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