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कैबिनेट ने खरीफ फसलों के लिए MSP बढ़ाया, सोयाबीन में 436 रुपये का इजाफा

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केंद्रीय कैबिनेट ने खरीफ सीजन 2025-26 (भोजन फसलों की कटाई मौसम) के लिए 14 खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की मंजूरी दी है। यह निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिया है। इस कदम का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए लाभकारी और सुनिश्चित भाव देना है, ताकि लागत व जोखिमों से उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिल सके। 

किन फसलों के MSP बढ़े हैं और कितना हुआ अंतर

सरकार ने सोयाबीन पर 436 रु, धान पर 69 रु , ज्वार पर 328 रु,  बाजरा पर 150 रु, मक्का पर 175 रु, तूर/अरहर पर 450 रु,  मूंग पर 86 रु, मूंगफली पर 480 रु की बढ़ोतरी की है। इसी के साथ रामतिल में सबसे अधिक 820 रु प्रति क्विंटल का इजाफा किया गया है। इसके बाद रागी में 596 रु, कपास में 589 रु और तिल में 579 रु प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। 

 नए MSP में कई फसलों पर किसान को उत्पादन लागत से ज्यादा मार्जिन मिलने की संभावना है। उदाहरण के लिए रामतिल में लगभग 172% तक का मार्जिन अनुमानित है, वहीं बाजरा में भी 60-70% का मू्ल्य वृद्धि होने से मुनाफे के अवसर बढ़ेंगे। 

सरकार ने सिर्फ धान-अनाज ही नहीं, बल्कि दलहन, तिलहन, पोषक अनाज (millets) तथा तिल, रामतिल, कपास जैसी फसलों पर भी जोर दिया है। इससे किसानों को विकल्प मिलेंगे और किसी एक फसल पर निर्भरता कम होने की संभावना है ।

पिछले वर्षों की तुलना में कितना बढ़ा MSP का प्रभाव

अधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 2014-15 से 2024-25 के दौरान धान की खरीद 7,608 लाख मीट्रिक टन (LMTS) थी, जबकि 2004-05 से 2013-14 के दौरान ये संख्या 4,590 LMTS थी। इसी तरह, 14 खरीफ फसलों की कुल खरीद 2014-25 में 7,871 LMTS रही, जबकि 2004-14 की अवधि में 4,679 LMTS रही है।

एमएसपी राशि में भी बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। धान उत्पादक किसानों को 2014-15 से 2024-25 के बीच कुल लगभग ₹14.16 लाख करोड़ की राशि मिली, जबकि 2004-05 से 2013-14 की अवधि में ये राशि लगभग ₹4.44 लाख करोड़ थी। 14 खरीफ फसल उत्पादक किसानों को इसी दौरान MSP के तहत कुल ₹16.35 लाख करोड़ रुपये दिए गए। 

एमएसपी बढ़ाने से किसानों को तात्कालिक राहत मिलेगी, विशेषकर उन फसलों पर जिनका MSP बहुत बढ़ा है जैसे रामतिल, तूर-अरहर, उड़द आदि। इसके साथ ही यह उत्पादन को विविध बनाने की नीति को भी बल देगा। यदि सरकार समय-पर भुगतान, क्रय प्रक्रिया, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अन्य आयामों पर ध्यान दे तो इस निर्णय का सकारात्मक प्रभाव आने वाले वर्षों में और स्पष्ट होगा।

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