राजगढ़ जिले के स्थानीय युवाओं को डैम ऑपरेटर की नौकरी का झांसा देकर 60 हजार रुपए की वसूली, प्रशासन ने बताया फर्जीवाड़ा
राजगढ़ (मध्यप्रदेश): देश की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक मोहनपुरा डैम के नाम पर राजगढ़ के बेरोजगार युवाओं के साथ बड़ा घोटाला हुआ है। नौकरी के लालच में फर्जी एजेंसियों ने कम पढ़े-लिखे युवाओं से 60 हजार रुपए प्रति व्यक्ति की राशि वसूली और करीब एक साल तक झूठे वादों में उलझाकर रखा।
वर्ष 2018 में जब नेवज नदी पर मोहनपुरा डैम का निर्माण पूरा हुआ था, तो राजगढ़ के किसानों और बेरोजगार युवाओं ने उम्मीद की थी कि उनका जिला विकास के नए आयाम छुएगा। डैम से सिंचाई का रकबा तो बढ़ा, लेकिन रोजगार के नाम पर युवाओं का शोषण भी हुआ।
फरवरी 2024 में यह कहानी शुरू हुई, जब स्थानीय वेंडरों के माध्यम से 8वीं से 10वीं पास युवाओं को बताया गया कि मोहनपुरा डैम में डैम ऑपरेटर की आवश्यकता है।
पीड़ित युवा की गवाही
आकिब अंसारी, जो 10वीं पास हैं और पेशे से इलेक्ट्रीशियन हैं, अपनी व्यथा बताते हुए कहते हैं:
“मुझे काम कभी मिलता था, कभी नहीं मिलता था। जब स्थानीय वेंडर ने बताया कि 7 साल का एग्रीमेंट होगा और 14 हजार रुपए महीने की सैलरी मिलेगी, तो मैं झट से तैयार हो गया। साथ में 3 अन्य युवा भी तैयार हो गए।”
आकिब आगे बताते हैं:
“60 हजार रुपए देने के बाद कथित कंपनी ने जीमेल पर सभी डॉक्यूमेंट मांगे। फॉर्मेलिटी के नाम पर एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया, जिसमें लिखा था कि मैंने वेंडर को केवल 25 हजार रुपए दिए हैं, जबकि असल में 60 हजार रुपए दिए थे।”
झूठे वादों का जाल
कुछ दिनों बाद कथित कंपनी की तरफ से एक इन्फॉर्मेशन लेटर भेजा गया, जिसमें नाम, पता और सैलरी की जानकारी थी, लेकिन काम कब और कहां शुरू करना है, यह स्पष्ट नहीं था।
आकिब बताते हैं:
“हमारा परिवार भी खुश था कि अब कागज हाथ में आ गए तो ज्वाइनिंग भी हो जाएगी। लेकिन 4-5 महीने गुजर गए और कुछ नहीं हुआ।”
28 जून 2024 को ‘एमएस श्रीवास्तव’ नाम के व्यक्ति ने “मोहनपुरा डैम राजगढ़” के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। इसमें खुद को रोजगार संघ की अधिकारी बताने वाली ‘रिनी शर्मा’ नामक महिला भी शामिल थी।
व्हाट्सएप ग्रुप में पांच महीने तक तरह-तरह के बहाने बनाए गए। आकिब बताते हैं:
“कभी कहा जाता कि मैडम के पति की तबियत खराब है तो वो छुट्टी पर हैं, कभी कहते कि डैम के सेफ्टी चेक्स क्लियर नहीं हुए हैं। मध्यप्रदेश के किसी जिले में वर्कर के साथ हादसा होने की बात कहकर सेफ्टी के नाम पर देरी की जा रही थी।”
स्टाइपेंड के नाम पर एक साल में केवल तीन बार पैसा दिया गया, जिससे 60 हजार में से सिर्फ 25 हजार रुपए कवर हुए।
दूसरा शिकार
दानिश, जो 8वीं पास हैं और मैकेनिक का काम करते थे, भी इस ठगी के शिकार हुए। वह बताते हैं:
“मेरे साथ आकिब के अलावा दो और लोग थे जिन्होंने 60-60 हजार रुपए दिए थे। इन्फॉर्मेशन लेटर के बाद हमसे कहा गया कि डैम में जहां-जहां पानी भरा है, उसकी अलग-अलग एंगल से फोटो खींचकर कंपनी की ईमेल पर भेजें।”
दानिश आगे कहते हैं:
“कुछ दिनों तक हमने यह काम भी किया, लेकिन ईमेल का कभी रिप्लाई नहीं मिला। निजी यूपीआई आईडी से स्टाइपेंड दिया जाता था और अंत में हाथ खड़े कर दिए गए।”
अब दानिश मैकेनिक का काम छोड़कर फ्लिपकार्ट में डोर-टू-डोर डिलीवरी का काम कर रहे हैं।
कथित एजेंसी का पक्ष
कथित ‘रिनी शर्मा’ से संपर्क करने पर उनका कहना था:
“आकिब और अन्य लोगों का जल निगम के अंतर्गत लेटर निकला था। हमने इनसे 25 हजार लिए थे जिसकी एनओसी भी इन लोगों ने दी थी। केवल 35 हजार का पेमेंट बचा है, जो स्थानीय वेंडर और इनके बीच का मामला है।”
वह आगे कहती हैं, “जिस काम के लिए भर्ती होनी थी, उस पर प्रशासकीय रोक है। हमारे पास जीएडी का आदेश वर्ष 2007 और 2009 है, जिसमें आप देख सकते हैं। जो नियम में था हमने वही किया है। हमारी जिम्मेदारी थी कि रजिस्ट्रेशन फीस वापस करें, जो हम कर चुके हैं।”
उपरोक्त हुई बातचीत के पश्चात कथित महिला रिनी शर्मा ने ग्राउंड रिपोर्ट के रिपोर्टर का नंबर ब्लॉक कर दिया। जिसके बाद दोबारा संपर्क नहीं हो पाया। वही हमने महिला के कथन के अनुसार GAD यानी कि सामान्य प्रशासन के आदेश वर्ष 2007 वा 2009 की खोज की लेकिन वो हमे नहीं मिला।
मोहनपुरा डैम के प्रोजेक्ट मैनेजर विकास राजोरिया स्पष्ट रूप से कहते हैं:
“यह पूरी तरह फर्जीवाड़ा है। यह मामला हमारे एक रिटायर्ड कर्मचारी के माध्यम से संज्ञान में आया था, जिनसे हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हम ऐसा कोई काम नहीं करते कि किसी आउटसोर्स एजेंसी को दें और वह डैम ऑपरेटर की पोस्ट बांटे।”
राजोरिया आगे कहते हैं:
“हम डैम की सिक्योरिटी का भी टेंडर आउटसोर्स कंपनी को देते हैं, लेकिन हमारा किसी से कोई एफिलिएशन नहीं है।”
युवाओं का भविष्य
आकिब ने अब नौकरी का सपना देखना छोड़ दिया है। वह कहते हैं, “इस एक साल में मैंने अपनी जमा पूंजी खोई और अपना काम भी नहीं कर पाया। अब मैंने आईटीआई (इलेक्ट्रीशियन) की परीक्षा पास की है और इसी फील्ड में आगे जाना चाहता हूं।”
राजगढ़ की 3800 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस महत्वपूर्ष सिंचाई परियोजना का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लेकिन इसी डैम के नाम पर ठग कम पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं का शोषण कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश शासन को चाहिए कि वह सभी विभागों में सेवा देने वाली वैध प्राइवेट कंपनियों की सूची सार्वजनिक करे, ताकि युवा इस तरह के धोखाधड़ी के शिकार न बनें। अन्यथा देश की बड़ी परियोजनाओं के नाम पर बेरोजगार युवाओं का शोषण जारी रहेगा।
यह रिपोर्ट राजगढ़ से ग्राउंड रिपोर्ट की विशेष जांच के आधार पर तैयार की गई है।
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