मध्य प्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर के एक बड़े सरकारी अस्पताल, महाराजा यशवंतराव अस्पताल (MYH) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां अस्पताल के NICU वार्ड में रखे हुए दो नवजात शिशुओं को चूहों ने काटा था, जिसमें से 2 सितंबर को एक नवजात कन्या की मौत हो गई।
इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाईएच के NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) वार्ड में पिछले कुछ दिनों से दो नवजात बच्चों को भर्ती कराया गया था। ये दो बच्चे इंदौर व खरगौन के हैं। दोनों नवजात शिशुओं की उम्र लगभग 10 से 15 दिन की है। इनमें से एक शिशु की उंगली में, तो वहीं दूसरे के कंधे में चूहे ने काट लिया था।
घटना रविवार और सोमवार की है। दोनों शिशुओं की स्वास्थ्य स्थिति जन्म से ही गंभीर थी, जिसके कारण उन्हें अस्पताल के NICU वार्ड में रखा गया था। इनमें से जिस नवजात को उसके परिजन खरगौन से शहर के बड़े अस्पताल में लाए थे, उस बच्चे को फिस्टुला जैसी बीमारी थी और उसके परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराकर वापस चले गए थे।
मौत का कारण विवादास्पद
मंगलवार की शाम को एक नवजात बच्ची की मौत हो गई है। इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है कि नवजात का वजन 1.2 किलोग्राम था और हीमोग्लोबिन भी बहुत कम था। इसके अतिरिक्त नवजात को हृदय संबंधित समस्या थी। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि नवजात की मौत चूहों के काटने की वजह से नहीं हुई है।
इस मामले में अस्पताल प्रशासन ने नर्सिंग स्टाफ की दो नर्सिंग ऑफिसर आकांक्षा बेंजामिन और श्वेता चौहान को सस्पेंड कर दिया है। वहीं दो अन्य सदस्यों को शो-कॉज नोटिस दिया गया है। इसके अलावा एक कमेटी का गठन कर इस मामले में जांच की जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने मामले में दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाही करने की बात कही है।
पुरानी समस्या का नया रूप
यह कोई पहली बार नहीं है जब इस अस्पताल में ऐसी शिकायतें सामने आई हैं। अस्पताल कैंपस में लंबे समय से चूहों की समस्या को लेकर शिकायतें मिलती रही हैं। मई 2021 में एक नवजात की एड़ी व अंगूठे में चूहे ने काट लिया था। यहां तक कि NICU यूनिट में भी चूहों को देखा गया है।
मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन सक्रिय हो गया है। अब पूरे अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल की तैयारी शुरू की गई है और NICU में चूहों को रोकने के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चिकित्सा अधिकारियों ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। अब सुरक्षात्मक कदम उठाए जाने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल बहुत पुराना होने के कारण वे पहले दो बार चूहा उन्मूलन कार्यक्रम चला चुके हैं।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, 1994 व 2021 में चूहों को खत्म करने के लिए अलग-अलग प्रयास किए गए थे:
1994 का अभियान
1994 में 35 दिन यानी 5 हफ्ते का “चूहा मारो अभियान” तत्कालीन कलेक्टर सुधी रंजन मोहंती के नेतृत्व में चलाया गया था। जिसमें लगभग 12 हजार चूहे मारे गए थे।
2014 का प्रयास
2014 में चूहे मारने के लिए संभागाध्यक्ष संजय दुबे ने 56 लाख रुपए में पेस्ट कंट्रोल करते हुए चूहों को घी और झींगा खिलाया था, जिसमें 24,000 चूहे मारे गए थे।
इन सबके बावजूद भी इस अस्पताल में समस्याएं बनी हुई हैं, जिसका सीधा असर नवजातों के स्वास्थ्य और जीवन पर पड़ रहा है।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
आमतौर पर शहर के अस्पताल ज्यादा सुविधाजनक होते हैं और इलाज अच्छा होता है। यही वजह है कि छोटे शहरों और गांवों से लोग इलाज कराने के लिए यहां आते हैं। लेकिन इन अस्पतालों से गंभीर लापरवाही का सामने आना प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की एक नई तस्वीर पेश करता है।
चूहे के काटने से खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। चूहों के काटने या उसके मल-मूत्र के संपर्क में आने से कई तरह के संक्रमण फैल सकते हैं।
प्रमुख रोग
अमेरिकी नेशनल पार्क सर्विस के अनुसार, चूहे के काटने से कई रोग होते हैं, जैसे:
- हंतावायरस (Hantavirus)
- लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis)
- रैट-बाइट फीवर (Rat-bite fever)
- सैल्मोनेलोसिस (Salmonellosis)
ये रोग सीधे काटने, मल-मूत्र या संपर्क के माध्यम से इंसानों तक पहुंच सकते हैं।
रैट-बाइट फीवर की विशेषताएं
रैट-बाइट फीवर एक बैक्टीरियल जूनोटिक रोग है, जो Streptobacillus moniliformis या Spirillum minus बैक्टीरिया से होता है। यह काटने या खरोंच से फैल सकता है, और गंभीर स्थितियों में बुखार, रैश, जोड़ों में दर्द, सांस एवं गुर्दे की समस्याएं पैदा कर सकता है।
यह घटना न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की तत्काल आवश्यकता को भी दर्शाती है। नवजातों की सुरक्षा के लिए कड़े उपाय अपनाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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