...
Skip to content

इंदौर का स्टार्ट-अप ‘स्वाहा’ इस वर्ष भी बनाएगा अमरनाथ यात्रा को वेस्ट-फ्री और इको-फ्रेंडली

इंदौर का स्टार्ट-अप 'स्वाहा' इस वर्ष भी बनाएगा अमरनाथ यात्रा को वेस्ट-फ्री और इको-फ्रेंडली
इंदौर का स्टार्ट-अप 'स्वाहा' इस वर्ष भी बनाएगा अमरनाथ यात्रा को वेस्ट-फ्री और इको-फ्रेंडली

REPORTED BY

Follow our coverage on Google News

Read in English | पूरे देश में सबसे तेजी से आगे बढ़ते सस्टेनेबिलिटी और वेस्ट मैनेजमेंट स्टार्ट अप ‘स्वाहा’ को एक बार फिर सबसे दुर्गम और हिमालय की ऊंचाइयों पर स्थित बाबा अमरनाथ पवित्र गुफा यात्रा को पूर्णतः पर्यावरण सम्मत बनाने की ज़िम्मेदारी मिली है। इस हेतु उनका चयन पुनः उनके पिछले वर्ष के जबरदस्त कार्य प्रदर्शन की वजह से हुआ है।

इस वर्ष स्वाहा फिर से 350 से अधिक सफाई मित्रों और वॉलेंटियर की टीम के साथ अमरनाथ के दोनों यात्रा पथ यानि बालटाल, पहलगाम और गुफा तक के 13 कैंप्स के माध्यम से कचरे को हिमालय में फैलने से रोकेगा।

Amarnath Yatra Route  पर 13 जगह कैंप्स लगाएगा स्वाहा
अमरनाथ यात्रा के दोनों रुट पर 13 जगह कैंप्स लगाएगा स्वाहा
अमरनाथ कैंप की तस्वीर Amarnath yatra 2023
अमरनाथ कैंप की तस्वीर

क्या-क्या होगा इस बार स्वाहा वाली इको फ्रेंडली अमरनाथ यात्रा में?

‘स्वाहा सबसे पहले बेस कैंप पर ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक को रोक देगा और उसके लिए अवेयरनेस और फ्रिस्किंग प्वाइंट पर प्लास्टिक लेकर कपड़े के थैले निशुल्क बांटेगा। इसके बाद लंगरों के फूड वेस्ट और किचेन वेस्ट से ऑन स्पॉट कंपोस्ट बनाया जायेगा।”

समीर शर्मा, स्वाहा के डायरेक्टर

  • लगेंगे सस्टेनेबल “इन्दौर वाले” लंगर– इस बार स्वाहा ने इंदौर शहर के सोशल मीडिया ग्रुप के साथ मिलकर एक ऐसा लंगर लगाने का आयोजन किया है जो पूर्णतः सोलर और बायोगैस से चलगा और इसमें इंदौरी स्वाद यानी पोहे, सबूदना खिचड़ी और चाय यात्रियों को निशुल्क प्रसाद के तौर पर वितरित की जाएगी। यह अपने आप में पहला सस्टेनेबल लंगर होगा।

“हम शहर वासियों और ग्रुप के 2 लाख मेंबर्स के सहयोग से इसे अमरनाथ यात्रा में चलाएंगे।”

इंदौरवाले ग्रुप की शालिनी शर्मा

food being prepared on solar concentrators
स्वाहा की कोशिश होती है कि सारा खाना सूरज की रौशनी से चलने वाले सोलर कंसंट्रेटर या बायोगैस के ज़रिए ही तैयार हो
  • इसके साथ पूरे यात्रा मार्ग , बेस कैंप, लंगर और गुफा तक स्वाहा की वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटी लगेंगी।
  • अवेयरनेस में जिंगल्स, यात्रा एंथम , विभिन्न एक्टिविटीज , प्लेज फॉर्म, सेल्फी प्वाइंट, कपड़े का बैग और साथ ही स्वच्छता मैसकॉट पूरे समय बेस कैंप्स में घूमेंगे।
  • सोशल मीडिया से पूरे देश में सस्टेनेबल टूरिज्म और रिस्पॉन्सिबल पिलग्रिमेज का नया संदेश देश में जाएगा ताकि कश्मीर की घाटियों और हिमालय के पहाड़ों पर प्रदूषण ना फैले।
  • इस बार भी कश्मीर के 200 से अधिक युवाओं द्वारा इसमें स्वयंसेवा दी जायेगी। जिससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा।

स्थानीय लोगों को मिलेगा रोज़गार

पूरे देश से इस पर्यावरण संरक्षण इवेंट हेतु युवा और लोग वोलेंटियर के रूप में स्वाहा के पास आ रहे हैं। जिन्हे पर्यावरण संरक्षण सिखाया जाएगा और हैंड्स ऑन ट्रेनिंग के साथ सर्टिफिकेट भी मिलेगा।

waste management by swaha volunteers
waste management by swaha volunteers

62 दिन की यह यात्रा 1 जुलाई से 31 अगस्त तक आयोजित होगी। इस बार लगभग 1200 टन कचरे को कलेक्ट कर प्रोसेस करना , बिहेवियरल चेंज मुख्य उद्देश्य हैं। बेस कैंप पर ही प्लास्टिक का कचरा रोकना बड़ा काम है, यात्रा के रास्ते में प्लास्टिक कचरा बढ़ता है। इसके लिए स्वाहा टीम कोशिश करेगी की लोग यात्रा के शुरुआत के बिंदु बेस कैम्प बालटाल और पहलगाम पर ही सारा प्लास्टिक रोकें।

20 से 30 लाख प्लास्टिक बोतलों से हिमालय को बचाना है

sameer sharma director of swaaha

“यात्री यदि अपने साथ सिर्फ पानी की रियूजबल बोतल ही लेकर आ जाएं तो 20 से 30 लाख प्लास्टिक बोतलों को हिमालय में आने से रोका जा सकता है, इसमें पानी, कोल्डड्रिंक और ज्यूस सबसे बड़े कचरा उत्तपादक होते हैं।”

रोहित अग्रवाल, स्वाहा

“हमने बिना बिजली से चलने वाली ऐसी मशीन बनाई हैं जो नॉन मोटरेबल रोड से घोड़ों पर रखकर पहाड़ों पर जाएंगी और उसके बाद मैकेनिकली ऑपरेट हमारी टीम द्वारा को जायेगी, यह अपने आप में अदभुत प्रयोग होगा जो ऐसे दुर्गम स्थानों के लिए एक उदाहरण बनेगा, यह सस्ते, पोर्टेबल और बिना बिजली के चलाए जा सकते हैं और इसका मेंटेनेंस भी आसान है।”

ज्वलंत शाह, स्वाहा

waste management at amarnath base camp
amarnath yatra base camp
  • मोबाइल घोड़ा इंजीनियरिंग यूनिट: स्वाहा की एक इंजीनियरिंग टीम पूरे समय यात्रा पथ पर घोड़ों के साथ इन 13 कैंप्स पर मेंटेनेंस करती रहती है।
  • वेब ऐप्स और MIS पोर्टल से मॉनिटरिंग: पूरे समय कचरा प्रबंधन, प्रोसेसिंग , मानव संसाधन प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर बनाया गया है, जो रीयल टाइम डेटा एनालिसिस करेगा और रिपोर्टिंग भी। यात्री जहां भी कचरा देखेंगे वे वेब ऐप पर रिपोर्ट कर सकेंगे ताकि एजेन्सी तत्काल उसे हटाएं। टचस्क्रीन कियोस्क भी यात्रा फीडबैक देने के काम आयेंगे।
  • मौसम सबसे बड़ी चुनौती: अन प्रिडिक्टेबल मौसम (बारिश, तूफान, भू स्खलन, क्लाउड बर्स्ट, अत्यधिक ठंड, बर्फबारी) के बीच यह कार्य देश के सबसे ऊंचे तीर्थयात्रा स्थल पर करना बेहद कठिन है। समीर शर्मा ने बताया कि हम 1 माह पहले से पहाड़ों पर जाते हैं ताकि मौसम की अनुकूलता हासिल करें अन्यथा ऑक्सीजन की कमी और ठंडे मौसम , हाई एल्टीट्यूड सिंड्रोम से बेहद परेशानी होती है।
  • आस्था और सहयोग से हासिल करेंगे लक्ष्य हासिल: स्वाहा टीम के अनुसार जम्मू कश्मीर यूटी सरकार , तीर्थयात्रियों के सहयोग और ईश्वर कीकृपा से पिछले वर्ष की तरह इस बार भी यह एक उदाहरण बनकर विश्व के सामने आएगा।

Keep Reading

You can connect with Ground Report on FacebookTwitterKoo AppInstagram, and Whatsapp and Subscribe to our YouTube channel. For suggestions and writeups mail us at GReport2018@gmail.com.

Author

  • Climate journalist and visual storyteller based in Sehore, Madhya Pradesh, India. He reports on critical environmental issues, including renewable energy, just transition, agriculture and biodiversity with a rural perspective.

    View all posts

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins