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क्या इन कारणों के चलते कमलनाथ थामना चाहते हैं कमल? पढ़ें पूरी कहानी…

क्या इन कारणों के चलते कमलनाथ थामना चाहते हैं कमल? पढ़ें पूरी कहानी...

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) के भाजपा (BJP) में शामिल होने की अटकलों का बाज़ार तेज़ी से गर्म है। हालांकि कमलनाथ की तरफ से भाजपा ज्वाइन करने को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है। कमलनाथ का अगला कदम क्या होगा यह बात भी अभी पूरी करह से साफ नहीं है। ऐसा कहा जा रहा कि कमलनाथ अपने बेटे नकुल (Nakul Nath) और कांग्रेस (congress) के कई विधायक और स्थानीय नेताओं के संग बीजेपी का दामन थामने की तैयारी में हैं। फिलहाल अटकलों के गर्म होते बाज़ार के बीच मध्य प्रेदश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी (Jitu patwari) ने कमलनाथ के पार्टी छोड़ने की बात को सिरे से खारिज किया है। 

जिस तरह इस बात का अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल होता है कि कोई ऊँट कब किस करवट बैठ जाए। कुछ उसी तरह ही राजनीति में इस बात का पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है कि कौन सा नेता कब किस पार्टी की करवट बैठ जाए। ऐसा ही कुछ माहौल मध्य प्रदेश में बना हुआ है जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों ने कांग्रेस पार्टी के माथे पर पसीना ला दिया है। ख़बर यह भी है कि कमलनाथ (Kamal Nath) अपने बेटे, कई विधायक और कुछ स्थानीय नेताओं के साथ भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। जीतू पटवारी से लेकर दिग्विजय सिंह लगातार इन ख़बरों को नकारते नज़र आ रहे हैं।

Kamal Nath : कमलनाथ थामेंगे में कमल, इस बात में है कितना दम

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच ख़बर है कि कांग्रेस के कई विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं। सभी विधायक कमलनाथ के करीबी बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही कई और विधायकों के दिल्ली पहुंचने की ख़बर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली पहुंचे विधायक छिंदवाड़ा से हैं। उधर एमपी कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी की बैठकों का दौर लगातार जारी है। वो लगातार कह रहे हैं कि कमलनाथ कांग्रेस के थे और आगे भी रहेंगे। 

मध्य प्रदेश में पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कमलनाथ (Kamal Nath) को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह से कमलनाथ को प्रदेश प्रमुख के पद से हटाया गया, इस बात से वो काफी आहत हुए हैं। कमलनाथ जो भी फैसला लेंगे हम पूरी तरह से उनके साथ हैं। ख़बर यह भी है कि कांग्रेस के कई विधायक फोन नहीं उठा रहे हैं। कई और विधायक दिल्ली निकलने की तैयारी में हैं। 

Kamal Nath : कमलनाथ नहीं ज्वाइन करेंगे भाजपा – सज्जन वर्मा

वहीं भाजपा का कहना है कि कमलनाथ (Kamal Nath) के पार्टी में शामिल होने को लेकर फाइनल नहीं हुआ है। लेकिन सूत्रों के हवाले से हा रही ख़बरों के मुताबिक कमलनाथ अपने बेटे और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ पार्टी भाजपा ज्वाइन करने के लिए संपर्क साधने की कोशिश में हैं। उधर भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। फिलहाल स्थिति साफ होती नहीं नज़र आ रही है। ख़बर यह भी है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता नहीं चाहते कि कमलनाथ की भजापा में एंट्री हो।

सभी अटकलों के बीच कमलनाथ के बेहद करीबी पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने सोमवार 19 फरवरी को मीडिया से बात करते हुए कहा कि  कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ कांग्रेस का साथ छोड़कर कही नहीं जा रहे हैं। कमलनाथ से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि जो भी नाराज़गी थी वो अभ दूर हो चुकी है। कुछ मनमुटाव ज़रूर थे, लेकिन उन सभी को दूर कर लिया गया है।

जीतू पटवारी ने मीडिया के बात कर कहा- मेरी कमलनाथ से बात हुई है। उन्होंने बीजेपी ज्वाइन करने की बात को मीडिया का फैलाया हुआ एक भ्रम बताया। कमलनाथ ने मुझसे कहा है कि, मैं कांग्रेसी था, हूं और रहूंगा।

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के सहयोगी दिग्विजय सिंह ने भरोसा जताया है कि कमलनाथ ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत जहां से की है वो उसे छोड़कर नहीं जाएंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि कमलनाथ कही नहीं जाएंगे।

Kamal Nath : कांग्रेस के साथ कमलनाथ का राजनीतिक सफर

कांग्रेस के कद्दावर और दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाने वाले कमलनाथ का कांग्रेस के साथ राजनीतिक सफर बहुत लंबा रहा है। 1968 में कमलनाथ ने अपने युवा कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक सफर का आगाज़ किया था। बचपन से ही कमलनाथ कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं। कमलनाथ बचपन में संजय गांधी के साथ पढ़ते थे।  कांग्रेस के साथ उनके बचपन से लगाव के पीछे संजय गांधी मुख्य वजह रहे थे। सक्रिय राजनीति की शुरूआत कमलनाथ ने इंदिरा गांधी के समय की थी। 

मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ रहा है। 1980 में पहली बार कमलनाथ ने इस सीट से लोकसभा का चुनाव जीता था। फिर इसके बाद कमलनाथ ने इस सीट पर 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में जीत दर्ज की। फिर 2019 में इसी सीट से कमलनाथ पहली बार विधायत बने। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता के शिखर के शिखर पर ले जाने का क्रेडिट भी कमलनाथ को दिया जाता है।

आपको बता दें कि कमलनाथ ने केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि केंद्र में कई अहम पदों पर रह काम किया है। कमलनाथ 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री का कार्यभार संभाला था। फिर 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री, 2012 से 2014 तक शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।

1976 में कमलनाथ ने यूपी युवा कांग्रेस के प्रभारी के रूप में काम किया। 1970 से 1981 तक कमलनाथ ने अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में किया। वर्ष 2000 से लेकर 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के पद रहे। साथ ही कांग्रेस प्रमुख के पद भी मिला लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उन्होंने अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था।

2018 में कांग्रेस की राज्य में वापसी कराने में कमलनाथ का काफी अहम योगदान रहा था। कमलनाथ के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने 15 साल बाद मध्य प्रदेश में सरकार बनाई थी। कमलनाथ को विधायक दल का नेता चुनते हुए राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के बगावत कर दी। सरकार बनने के 15 महीने के बाद सरकार गिर गई। फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

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