Powered by

Home ग्रामीण भारत

झाबुआ की मन्नु परमार जिन्होंने अपने जज़्बे से तोड़ा पलायन का जाल

मन्नु  बताती  हैं, की "यह वही है जिसके लिए मैं तरस रही थी, इसलिए मैं जल्दी ही उनके प्रयासों में शामिल हो गई।

By Ground report
New Update
story of mannu parmar jhabua

विकास मेशराम । मन्नु  वसंत परमार  अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ अपने खेत के पास बैठी है। फसलों, फलों के पेड़ों और सब्जियों के पौधों की हरी-भरी हरियाली झाबुआ  जिले (मध्यप्रदेश ) के  थादला ब्लॉक के हरिनगर ग्रामपंचायत  सागवानी गांव में स्थित यह महिला भील आदिवासी परिवारो  की बेहतर संभावनाओं का प्रतीक बनी है। 

अपनी विगत दिनों की बात करते वक्त हालाँकि उसका चेहरा उदास हो जाता है क्योंकि वह एक दशक पहले तक की स्थिति को याद करके बताती है - अधिकांश भाग में हम अपने खेतों में खेती करने में सक्षम नहीं थे, और  खेत की उपज भी कम थी कि पूरा प्रयास अव्यवहार्य हो गया था। इसलिए परिवार जीवित रहने के लिए प्रवासी मज़दूरी पर निर्भर हो गया था। मेरे पति आम तौर पर ईंट भट्टों पर काम करने के लिए गुजरात के सूरत शहर  पर जाते थे।  कभी कभी मै भी जाती थी हमें वहां बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करना और रहना पड़ा था ।उनके पति  वसंत कहते हैं- कुछ ऐसे चरण थे जब हम बहुत शोषणकारी परिस्थितियों में फंस गए थे और बहुत मेहनत करने के बावजूद हम मुश्किल से कुछ भी घर वापस भेज पाते थे।

story of mannu parmar of jhabua

मन्नु  आगे कहती हैं- पानी की कमी के कारण बहुत सारी समस्याएँ पैदा हुईं।  इसलिए जब हमें पता चला कि वागधारा  गठित ग्राम स्वराज समूह  ग्राम विकास एव जल संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं तो  मैंने और मेरे पति ने ग्राम स्वराज समूह में जुड़ने का  फैसला किया और मन में ठाण लिया की  हम हमारे गांव में अभी भी कुछ किया जा सकता है। आख़िरकार हमारे पास यहाँ ज़मीन है, और अपनी कृषि-आधारित आजीविका पर वापस जाने की इच्छा हमेशा से थी।

इसी संदर्भ में वागधारा संस्था  गठित ग्राम स्वराज समूहका गठन किया गया है जो कि  ग्राम स्तर पर केंद्रीय संगठन के रूप में कार्य करता है । धरातलीय व स्वतंत्र कार्यशैली से कार्य करने वाला यह समूह सागवानी गांव के पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा है  I  ग्राम स्वराज समूह, गाँव में सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए और सामुदायिक एकता को बढ़ाने के लिए जैसे- गाँव के विकास के मुद्दों, समुदाय में फैली विभिन्न कुरीतियों को ख़त्म करने के लिए समुदाय में जन जागरूकता लाने, समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ संवाद स्थापित करने, ग्राम विकास की योजनाओं के निर्माण में सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने तथा पंचायत में अनुमोदन करने का कार्य, समुदाय के वंचित वर्ग के सदस्यों को चिन्हित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार द्वारा प्रदत्त विभिन्न सेवाओं एवं योजनाओं से जुड़वाने में सहयोग हेतु सतत प्रयास रत है  इस  ग्राम स्वराज समूह में प्रत्येक गाँव से 10 पुरुष और 10 महिलाओं की समान सहभागिता के साथ कुल 20 सदस्य होते है  समूह में सम्मिलित होने वाली 10 महिला सदस्य अनिवार्य रूप से उनकी भागीदारी आवशक होती है  Iयह  समूह के सदस्य प्रति माह नियमित बैठक करते है  I ग्राम स्वराज समूह के सभी सदस्य ग्राम चौपाल के माध्यम से गाँव के समग्र विकास और स्वराज की अवधारणा को लागू करने के लिए कार्य करते है  I

story of mannu parmar of jhabua

 मन्नु  बताती  हैं, की "यह वही है जिसके लिए मैं तरस रही थी, इसलिए मैं जल्दी ही उनके प्रयासों में शामिल हो गई।" ग्राम स्वराज समूह में जुड़ने से मुझे आजीविका बड़ाने के गुर  प्रशिक्षण कार्यशालाओं और एक्सपोज़र विजिट से  सिखाये गये  और मन्नु  ने  जल संरक्षण कार्य के लिए महिलाओं को एकजुट करना शुरू कर दिया, चाहे वह नरेगा (ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम) के तहत किया गया हो या अन्य तरीकों से। चूँकि ऐसे अधिकांश कार्यों में नरेगा के तहत काम शामिल होता है, ये महिलाएँ नरेगा कार्य के कामकाज को बेहतर बनाने की कोशिश में भी शामिल थीं। एक बार जब लोग कार्यक्रम के कामकाज और साइट चयन जैसे मुद्दों में शामिल हो गए तो चीजें बेहतर दिखने लगीं। यहां सबसे आशाजनक जल संरक्षण कार्य किया गया जहां नरेगा बजट का उपयोग करके एक चेक बांध का निर्माण किया गया था। परिणामस्वरूप उपेक्षित, वीरान खेत हरी-भरी फसलों से लहलहाने लगे और  क्षेत्र में कुओं में पानी का स्तर बढ़ गया, जिससे अन्य किसानों को भी मदद मिली ।

अब अधिक पानी उपलब्ध होने के साथ, मन्नु  और उसका परिवार भी अधिक आशाओं और उत्साह के साथ खेती में लौट आया, और अपने गांव के भीतर एक संतोषजनक आजीविका अर्जित करने में सफल होने के लिए दृढ़ संकल्पित था। वागधारा ने जो प्रशिक्षण दिए उसके    के  बाद, उन्होंने कम लागत वाली प्राकृतिक जैविक  खेती को चुनने का फैसला किया। उन्होंने अपने खेत पर जैविक खाद तैयार करना शुरू कर दिया। वाग़धारा  द्वारा बीजों की मदद के साथ, उन्होंने विभिन्न प्रकार की फसलों  और में को खेत में और  घर लगाया जिसमें अनाज, मोटे अनाज कुरी रागी    , विभिन्न प्रकार की सब्जियों के साथ अमरूद और नींबू जैसे कुछ फलों के पेड़ शामिल थे।

story of mannu parmar of jhabua

मन्नू का कहना है कि हम अब स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खा रहे है और अतिरिक्त उत्पादन बाजार हरिनगर के हाट बाजार में बेचते है और हमे साग सब्जी से अच्छी आमदनी हो रही है उसी आमदनी से मैंने किराना दुकान डाली है ।   एक और दिलचस्प प्रयास कुरी और बटी जैसी पारंपरिक मोटे अनाज के फसलों को पुनर्जीवित करने का प्रयास वागधारा के माध्यम से कर रहे है।  इसके लिए मैंने अपने खेत का एक हिस्सा इसके लिए अलग रखा गया है।  मेरा  लक्ष्य देसी बीज बचाना और देशी का बीज बैंक विकसित करना भी है ताकि अन्य किसान भी उनसे बीज प्राप्त कर सकें और बाजार से किसानो का बिज के उपर जो खर्चा हो रहा है बच सके ।

हालांकि शोषित ईंट भट्ठा मजदूरों से लेकर टिकाऊ खेती तक की उनकी यात्रा मन्नू और उसके परिवार के सदस्यों के लिए संतुष्टि का स्रोत रही है, लेकिन वे इस बात से भी वाकिफ हैं कि अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। जैसा कि   मन्नू  कहती हैं, “हममें से बहुत से लोग अभी भी अत्यधिक कठिनाइयों में हैं, उन्हें अभी भी पलायन करने की आवश्यकता है। अगर आसपास घरो में आप देखेगे की ज्यादातर घरों में ताले लगे मिलेंगे क्योंकि ज्यादातर लोग पहले ही रोजगार की तलाश में दूर-दराज के इलाकों में चले गए हैं। उनके लिए सुदायिक प्रयास करने पर मन्नू जोर दे रही है ।

स्पष्टतः आगे का कार्य बहुत बड़ा है, चुनौतियाँ बहुत व्यापक हैं। फिर भी, यह जानना अच्छा है कि मन्नू जैसे कुछ लोगों ने दूर-दराज के इलाकों में शोषित प्रवासी श्रमिकों के रूप में बड़ी अनिश्चितता की स्थितियों में कड़ी मेहनत करके  अच्छी तरह से खेती वाले खेतों की सापेक्ष सुरक्षा में वापस आने का साधन ढूंढ लिया है।

Keep Reading

मध्यप्रदेश के उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का दिलचस्प सियासी सफर

रीवा सोलर प्लांट ने कितनी बदली स्थानीय लोगों की ज़िंदगी?

Ground Report के साथ फेसबुकट्विटर और वॉट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपनी राय हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।